सच्चा प्यार
(उर्दू कहानी का हिंदी अनुवाद)
यह कहानी डॉ जाकिर हुसैन के उर्दू स्टोरी का हिंदी रूप है, जो एक गरीब मच्छवारे और गडेरियन गर्ल की है, जिसके जज्बातों को उर्दू के लेखक डॉ जाकिर हुसैन ने बहुत ही खुबसूरत तरीके से लिखा और कहा | और यह मैं हिंदी प्रयोग में आपको बता रहा हूं आइए कहानी शुरू करते हैं
सच्चा प्यार हिन्दी कहानी। रोमांटिक कहानी|अजहर
जंगल ही थे जंगल और पहाड़ ही पहाड़ियाँ, सातो जंगल के पीछे और सातवे पहाड़ के आगे एक मच्छवारा रहता था|जवन और सुंदर वही एक गड़रिया रहता था, उसकी बेटी थी, चाँद का टुकड़ा जैसी, यह लड़की भेदे चराया करती थी|गरीब और भोली भाली थी, जैसे उसके भेंडे, दोनों को एक दूसरे से प्यार हो गया, लड़की की नज़र में मच्छवारा किसी शहजादे से कम न था, और मच्छवारे के करीब कोई शाहजादी उस लड़की की बराबरी नहीं करती थी, लेकिन थे दोनों ही बहुत गरीब। मच्छवारा यूंही ने सोचा कि इस गरीब से शादी क्या होगी? और हो गई तो रहना कैसे होगा? इसी सोच में एक मरतबा रात भर आँख में न सोया, करवटे बदल-बदल कर पूरी रात काटी| उस रब को याद किया जो हमेशा मुशीबत में काम करता है और दुखी होकर जरूर सुनता है| सुबह हुई तो दरिया पर मच्छलियां पकड़ दरिया पर पहुंच और दरिया में जाल फेका तो दिल दिल में दुआ कि ऐ मेरे मौला आज तो जाल भरकर मछलियां दिल्वा दे इस दरिया से और हाँ सुनहरी मछलिया हो जिसकी आँख हीरे की हो और नन्ही नन्ही हड्डियाँ जमा करने की हो, ये पतली और जाली दरिया फेका और वंही जमीन पर लेट गए| कोई तीन घंटे तक वन्ही दरिया के किनारे घासों पर लेटा लेता दिल में खुद को याद करके रोता रहा, आंसू थे कि थमते न थे|सारी जमीन से उसके गरम गरम आंसू से भीग गया था| आख़िरकार उठा और भारी जाल को ज़ोर से खींच तो जाल भरा हुआ था, मगर पत्थर से|
वह फिर दुआ करता है, मेरी प्यारी खुदा, इस बार तो जाल भर दे सुनहरी मच्छलियो का, जिन की आंखों में हीरे कि और नन्ही नन्ही हड्डियाँ कुछ नहीं तो मोती कि, यह कहते हुए दूसरा बार जाल दरिया में फेंका और जमीं पर चला गया| नौ घंटे वंही जमीन पर पड़ा रहा, पूरी जमीन उसके आंसुओ से तर हो गई, फिर उठाओ और जाल खींचकर लगा और इस बार जाल इतना भारी था कि खींचे न खिचता था| मगर उसी में देखा ही बहुत बड़ी लकड़ी का एक बहुत बड़ा टुकड़ा| अँधेरा होने लगा था चिड़ियाँ अपनी शाम का गीत गाकर खामोश हो गई थी, सूरज भी ज़मीं से रुख्सत्त हो गया था| मच्छवारे उसकी आँखों में नीद थे मगर दरिया के किनारे वह अपनी जगह खड़ा रहा, पानी में अपना जाल बिछा रहा था, तीसरा दफा जो खींच जालो तो जाल ऐसा आसानी से हो रहा था जैसे मकड़ी का जाला, ऊपर की चाँदनी देख रहा था, उसकी रोशनी मच्छवारे ने देखा कि सारा जाल चांदी का हो गया है और उसके भीतर जो दरियाई घास है, वह पूरा सोना है|उस सुनहरी घास पर एक नन्हा फ़रिश्ता लेटा था, उस पर मोती की तरह चमक रहे थे| फ़रिश्ते मच्छवारे से कहा कि मैं इस दरिया के तह मे लाखो सालो से पड़ा था, लाखो साल से, जब से दुनीया बनी थी तब से, मैंने कोई कसूर नहीं किया था कि किस सजा में अल्ह ने मूझे यंहा भेजा हो, मुझे तो देश निकाला मिला था,आदम और हौवा की चूक पर, क्योंकि उन्होंने बागे अदन में मुझे अपना हमदम नहीं बनाया|सांप को बना लिया, फिर उस पेड़ का फ़ल खा लिया जिससे उन्हें मना कर दिया गया था, मेरे नाम को भी बट्टा दिया गया था, इस कारण से निकाला गया और मैंने भी निकाला गया, क्यूंकि मैं उनके सच्ची मोहब्बत का फ़रिश्ता था| यही बात तो है कि आदमी अब सांप का सी प्यार करता है,वो रिश्ता जो रिश्तों में पाक रिश्ता |वह जो पहला प्यार करता था,सच्ची पाक दोस्ती ने उसे अब छोड़ दिया| बस हिरस है और हवस,प्यारे मच्छवारे मैंने कोई कसूर नहीं किया था कि किस सजा में अल्लाह ने मूझे यान्हा भेजा हो, मुझे देश निकाला मिला था, एडम और हौवा की गलती पर, क्योंकि उन्होंने अदन में मुझे अपना हमदम नहीं बनाया|सांप को बांध लिया, फिर उस पेड़ का फल खा लिया जिससे उन्हें मना कर दिया गया था, मेरे नाम को भी बट्टा दिया गया था, इस कारण से उनको बहिष्कार किया और मैंने भी बहिष्कार किया, क्यूंकि मैं उनके सच्ची मोहब्बत का फ़रिश्ता था| यही बात तो है कि आदमी अब सांप का सी प्यार करता है,वो रिश्ता जो रिश्तों में पार्टनरशिप करता है|वह जो पहला प्यार करता था,सच्ची पाक दोस्ती ने उसे अब छोड़ दिया| बस हिरस है और हवस,प्यारे मच्छवारे मैंने कोई कसूर नहीं किया था कि किस सजा में अल्लाह ने मूझे यान्हा भेजा हो, मुझे देश चमक मिला था, एडम और हौवा की गलती पर, क्योंकि उन्होंने अदन में मुझे अपना बादम नहीं बनाया|सांप को बांध लिया, फिर उस पेड़ का फल खा लिया जिससे उन्हें मना कर दिया गया था, मेरे नाम को भी बट्टा दिया गया था, इस कारण से उन्होंने बहिष्कार किया और मैंने भी बहिष्कार किया, क्यूंकि मैं उनके दावों का फ़रिश्ता था| यही बात तो है कि आदमी अब सांप का सी प्यार करता है,वो रिश्ता जो रिश्तों में पार्टनरशिप करता है|वह जो पहला प्यार करता था,सच्ची पाक दोस्ती ने उसे अब छोड़ दिया| बस हिर्स है और हवस,प्यारे मच्छवारे क्यूंकि मै उनका सच्चा प्यार का फरिश्ता था|यही बात तो है कि आदमी अब सांप का सी प्यार करता है, वह प्यार जो रोमांटिक रिश्ते में टूट जाता है|वह जो पहला प्यार करता था,सच्ची पाक प्यार ने अब उसे सब छोड़ दिया| बस हिर्स है और हवस,प्यारे मच्छवारेक्यूंकि मै उनका सच्चा प्यार का फ़रिश्ता था|यही बात तो है कि आदमी अब सांप का सी प्यार करता है, वह प्यार जो रोमांटिक रिश्ते में टूट जाता है|वह जो पहला प्यार करता था,सच्ची पाक मोहब्बत ने अब उसे सब छोड़ दिया| बस हिर्स है और हवस,प्यारे मच्छवारे अब फिर मुझे इस दरिया में न डाल देना मुझे अपने साथ ले चल, अपनी प्यारी गड़रियों के पास ले चल, मैं लेन वो ख़ुशी बख्शुंगा जो किसी को नसीब न हुई होगी|
मच्छवारा बोला एक गिलासमहल बने दोगे मेरी प्यारी गदरियों के लिए?क्या मुझे बहुत सा सोना चांदीदोगे? ताकि मैं उसे हमेशा बहुत खुश रख सकू, और ऐसा कर दूँ फिर किसी चीज़ को न लाटे, और भूख प्यास की तकलीफ न उठाये| फ़रिश्ता बोला और ख़ुशी के लिए पैलेसो की सड़कें नहीं होतीं, मोहब्बत न भूख को दी जाती है न धन और दौलत को पहचानती है| भूख भी खुद की तरफ स सजा है और सोने चांदी का लालच भी, और ये सजा उसने आदमियों को इस लिए दी है कि पहले मोहब्बत करने वाला ने मोहब्बत के नाम को बट्टा लगा दिया था|
फ़रिश्ते ने बात कुछ ऐसे भोले अंदाज से कही की मच्छवारे को समझ में आ गई, उन्होंने फ़रिश्ते को ऐसी सच्चाई और ऐसी खुशी के साथ सीने से लगाया के वह हमेशा के लिए उसके दिल में उतर गए, चांदी के जाल का ख्याल रखा और न सोना की घास का, सब दरिया में डाल दिया और अपनी गडरनी का ध्यान रखने के लिए घर लौटें
लेखक(डॉक्टर हुसैन) हिंदी प्रयोग अजहर की कलम से