एक अच्छी स्क्रिप्ट कैसे लिखें रेडियो प्रोग्राम के लिए?
एक अच्छी स्क्रिप्ट हिंदी रेडियो स्टेशन कैसे लिखें
ऑनलाइन रेडियो स्टेशन
एफएम दिल्ली
संगीत: गीत थीम
रेडियो जॉकी : असलम वालिकुम शाम्यीन हजरत आप सुन रहे हैं फम देल्ही, मैं आपका अपना होस्ट और दोस्त रज अली, आप सभी का तहे दिल से इस्तकबाल करता हु फम दिल्ली पर।
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रेडियो जॉकी :मैं आपका मेजबान और दोस्त रज अली हाजिर हुं आपके दरमियाँ आपकी चहिते फम, फम दिल्ली पर, मनोरंजन की राजधानी फम दिल्ली, जन्हा आप नंबर लेते हैं काम की खबरे और खुबसूरत गाने और कहानिया जो आपको ले जाती है, आपका सचेत दौर में, मेरे यानी आपके होस्ट और दोस्त रज के अली के साथ |
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रेडियो जॉकी: हमारे आज के कार्यकर्म का विशेष पहलू है, कहानियो के जादूगर मुंशी प्रेमचंद हम सब इनसे बखूबी वाकिफ होंगे, और जो नहीं है, मैं उनके लिए उनके ताररूफ करवा देता हूं | यह हिंदी और उर्दू के एक अज़ीम लेखक में से एक है, जिन्को पढ़कर ग्रामीण भारत को बहुत करीब से देखा जाता है| बहुत करीब से देख सकते हैं कि हम भाती समाज के उस पहलू को जो भारत में गरीबी और उससे लड़ने वाली भारतीय लड़ाई को उनके जज्बात और उनके टूटते होसलो और फिर से खड़े होकर संघर्ष करते हैं।
|भारत की आज़ादी के किस्से पॉडकास्ट कहानी
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रेडियो जॉकी: आधुनिक हिंदी और उर्दू साहित्य के एक प्रमुख भारतीय लेखक के रूप में जाने वाले मुंशी प्रेमचंद हिंदी साहित्य में सबसे प्रभावशाली व्यक्ति थे, उन्हें आकर्षक और सामाजिक तंजियाटिक रूप में जाने के लिए जाना जाता था| किसी दिन घटित घटना को ऐसे दिखाती है कि वह आंखों के सामने नाच रही है|
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रेडियो जॉकी : मुंशी जी के लेखन को हम नाटक और फिल्म के रूप में मेरी फिल्मी दुनिया में देख चुके हैं, और इनका लेखन अभिनय के साथ दुनिया में पढ़ा और सिखाया जाता है, आइये जानते हैं ऐसे अज़ीम लेखक ने कुछ चर्चित कहानियां और उपनन्यास लिखे हैं। नाटक उन्होंने अपने जीवन में कुल उपन्यास, तीन सौ से कुछ अधिक कहानिया, तीन नाटक और अनुवाद लेख लिखे|
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रेडियो जॉकी: मुंशी प्रेमचंद के नाम से विख्यात मुंशी जी का जन्म का नाम धनपत राय था मुंशी जी का जन्म वाराणसी से लगभग चार मील दूर लमही नाम के गांव में 31 जुलाई 1880 को हुआ| मुंशी जी के पिता अजायब लाल और माता आंडी देवी थी| उनके पिता जी डाक मुशी थे और माता जी गृहणी, उनके विवाह की उम्र एक साल की हो गई थी|
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रेडियो जॉकी: मुंशी जी ने अपना पढ़ा गांव से ही की और नंगे पांव चलकर वह स्कूल पढ़कर आए थे, वह पढ़कर वकील बनाना चाहते थे लेकिन पिता जी का शरीर हो गया था और गरीबी उन्हें ऐसा करने की अनुमति नहीं दे रही थी लेकिन जैसे तैसे करके उन्होंने पूरी तरह से और उसके बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय से साहित्य, पर्सियन और इतिहास विषयों से स्नातक द्वितीय श्रेणी से अपेक्षाकृत की|
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रेडियो जॉकी: मुशी जी की प्रसिद्ध रचना उपनन्यास, सेवादन, प्रेमाश्रम, निर्मला, रंगभूमि, गबन, गोदान,
कहानी संग्रह: नमक का दरोगा , प्रेम पच्चीसी, सोजे वतन, प्रेम तीर्थ, पांच फूल, सप्त सुमन, ईदगाह, ठाकुर का कुआँ, नमक दरोगा, बड़े घर की बेटी, वैराग्य आदि........
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आज क सफ़र यंही समाप्त होता है, उम्मीद है कि आपको आज का यह कार्यकर्म पसंद आया होगा इसी के साथ मैं आपका होस्ट और दोस्त लेता हूं विदा तबतक के लिए आप अपना ख्याल खुदाहाफिज रखते हैं........... अजहर