राज्य स्तर पर शासन व्यवस्था मुख्य सचिव, निदेशालय, जिला कलेक्टर रोल इन हिंदी 2023
राज्य स्तरीय प्रशासन व्यवस्था में मुख्य मंत्री, मुख्य सचिव,निदेशालय, जिलाधीश कलेक्टर, कैसे अपनी अपनी भूमिका अदा करते है हम इस लेख में समझने का प्रयतन करेंगे।
मुख्य सचिव कौन होता है ?
ब्रिटिश राज केंद सरकार का मुख्य सचिव पद देता है | सन 1799 में गवर्नर जनरल लार्ड वेलेजली ने इस पद की रचना की थी इस पद पर पहली बार जीएस बार्लो बैठे थे | मुख्य सचिव राज्य का शासकीय प्रधान होता है | वह राज्य प्रशासन का प्रशसनिक प्रमुख होता है , और राज्य के प्रशसनिक पदक्रम में उसका सर्वोच्च स्थान होता है | अन्य सचिवों की तुलना में मुख्य सचिव ऊपर होता है | मुख्य सचिव के प्रमुख और विभिन्न प्रकार के सभी विभाग उनके नियंत्रण में होते हैं
वह राज्य प्रशासन का नेता होता है , मार्गदर्शक और नियंत्रक होता है , उसकी पदस्थापना अत्यंत महत्वपूर्ण होती है और राज्य की व्यावहारिक प्रणाली में उसकी अलग भूमिका होती है |
मुख्य सचिव की शक्तिया और उनका कार्य :
मुख्य सचिव के कार्य और उनकी शक्तियों का उल्लेख राज्य सरकार द्वारा तैयार सरकारी कार्य और नियमावली (रूल ऑफ़ बिज़नेस) में किया जाता है |
मुख्यमंत्री के सलाहकार के रूप में |
मंत्रिमंडल के सचिव के रूप में |
लोक सेवा के
प्रमुख के रूप में |
प्रमुख समन्वयक के रूप में |
कुछ विभागों के प्रमुख के रूप में |
संकटकालीन प्रशासक के रूप में |
निदेशालय (directorates
)
राज्य स्तर पर सरकार के तीन घटक है , पहला है
मंत्री ,दूसरा सचिव और कार्यकारी प्रमुख | मंत्री और सचिव को मिलाकर
सचिवालय का गठन हुआ है | कार्यकारी प्रमुख के कार्यालय को निदेशालय का
नाम दिया गया है | निदेशालय राज्य सचिवालय के अधीन काम करता है |
सचिवालय स्टाफ एजेंसी है और जब कि निदेशालय
लाइन एजेंसी है मतलब यह है कि सचिवालय निति निर्धारण के काम से सम्बंधित
है और निदेशालय निति कार्यान्वयन से | इस
प्रकार से निदेशालय राज्य सरकार के कार्यकारी अंग है , निदेशालय को कार्यकारी
विभाग भी कहते है |
आइये जानते है कि निदेशालय के प्रमुखों के
बारे में|
निदेशालय
प्रमुख :
निदेशालय के नियम कानून सचिवालय के नियम
कानून से अलग होते है | इनकी शासनिक सत्ताये अलग होती है |
निदेशालय का प्रधान एक निदेशक होता है जिसकी सहायतार्थ अपर निदेशक होता है , संयुक्त निदेशक होता है , उप निदेशक और सहायक निदेशक
होते है | इसके अतिरिक्त के प्रधान को विभिन्न नामो से जाना जाता है |
जैसे आयुक्त , महानिदेशक , महानिरक्षक,
रजिस्टार , नियंत्रक , मुख्य अभियंता ,
मुख्य संरक्षक आदि|
निदेशालय या कार्यकारी विभाग | |
प्रमुखों के पदनाम | |
कृषि विभाग |
कृषि निदेशक |
पशुपालन विभाग |
पशुपालन निदेशक |
सहकारिता विभाग |
रजिस्ट्रार को ऑपरेटिव सोसाइटी |
शिक्षा विभाग |
शिक्षा निदेशक |
सीमा शुल्क विभाग |
सीमा शुल्क आयुक्त |
वन विभाग |
मुख्य वन संरक्षक |
आवास विभाग |
आवास
आयुक्त |
सिचाई विभाग |
मुख्य अभियंता |
कारगार विभाग |
महानिदेशक कारागार |
श्रम विभाग |
श्रम आयुक्त |
पुलिस विभाग |
पुलिस महानिदेशक |
उद्योग निदेशालय |
उद्योग निदेशक |
बिक्री कर विभाग |
बिक्री आयुक्त |
मुद्रण एव लेखन सामग्री विभाग |
मुद्रण और लेखा सामग्री नियत्रक |
रोजगार निदेशालय |
रोजगार निदेशक |
|
|
निदेशालय के कार्य :
·
मंत्रियो को
तकनीकी सलाह देना |
·
विभाग का बजट तैयार करना |
·
अधीनस्थ अधिकारियो पर नियमनुसार
अनुशासनिक शक्तियों का प्रयोग करना |
·
पदोन्नति और अनुशासनिक कार्यवाही
के संदर्भ में राज्य लोकसेवा आयोग को सलाह देना |
·
विभाग जिला स्तरीय स्टाफ द्वारा
कार्यान्वित काम का निरिक्षण करना |
·
अनुदान का आबंटन करना और बजट को
पुन्र्विनियोजित करना |
·
निर्धारित सीमा और अनुमोदित नियमो
के तहत सभी तरह कि नियुक्तियां , नियमितीकरण , तैनाती ,स्थानातरण और पदोन्नतियां
करना |
·
विभागीय अधिकारियो के लिए
सेवाकालीन प्रशिक्षण कार्यकर्म का आयोजन करना |
·
अधिकारियो को सम्मलेन में भाग
लेने कि अनुमति प्रदान करना |
फिर बारी आती है जिला धीश जिसको डिस्ट्रीक्ट
कलेक्टर भी कहते है लेकिन समय के साथ इसके रोले में में कुछ बदलाव हुए है जिसकी
चर्चा हम यंहा करने वाले है |
जिलाधीश
|
या
डिस्ट्रिक्ट
कलेक्टर |
जिला धीश को कर्नाटक ,असम, पंजाब , जम्मू और
कश्मीर में उपायुक्त कहते है | जबकि पचिम बंगाल और उत्तर प्रदेश में जिला
मजिस्ट्रेट कहते है | जिलाधीश कार्यालय को
कलेक्ट्रेट कहते है |
जिलाधीश जिला प्रशासन का मुख्य तथा जिले में
राज्य सरकार का एजेंट होता है | जिला धीश प्रशासन के राजस्व और सामान्य प्रशसन
विभाग तथा पंजीकरण विभाग सीधे जिलाधीश के प्रभार में होते है , किन्तु जिला प्रशासन के अन्य सभी विभागों पर भी उसका
ही नियंत्रण और प्रभाव होता है | वह बहु उद्देशीय अधिअकरी होता है जिसका नियंत्रण
पुरे जिले पर होता है |
जिला धीश
राज्य सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग के तहत आता है जिसके राजनितिक प्रमुख
मुख्य मंत्री होता है |और प्रशासनिक प्रमुख मुख्य सचिव है | जिलाधीश पर संभागीय
आयुक्त का नियत्रण और पर्वेक्षण होता है |
आइये इसे ऐसे समझे :
राज्य सरकार मुख्य मंत्री
राज्य सचिवालय मुख्य
सचिव
संभाग संभागीय
आयुक्त
जिला
जिलाधीश
जिला
क्या है ?
भारत में रहने वाले हर नागरिक को यह बात पता
होगी कि जिला क्या है ? या फिर क्या होता है क्यूंकि हर भारतीय नागरिक किसी राज्य
के जिले के अन्तरगत आने वाले तहसील और उसके अंतर्गत आने वाले ब्लाक के किसी गाँव
या शहरी निकाय का निवासी अवश्य ही होगा |
या हम यूँ भी कह सकते है कि जिला भारतीय
प्रशासन कि आधारभूत भौगोलिक इकाई है | ऑक्सफ़ोर्ड शब्दकोष में जिला को डिस्ट्रिक्ट
शब्द के रूप में परिभाषित किया गया है |
भारतीय सविधान में जिला शब्द का उल्लेख
अनुछेद 233
में ही किया गया है इसके आलावा किसी अन्य
जगह इसका जिक्र नहीं आता है | अनुछेद 233 में भी जिला न्याय धीश शब्द का प्रयोग किया गया है | किन्तु सविधान
के 73 वे और 74 वे
सविधान संशोधन अधिनयम जो सन 1992
में हुआ था के भाग नौ और नौ ए में कई जगह
जिला शब्द को शामिल किया गया है जो पंचायतो और नगर निगमों के लिए है |
भारत में प्रशासन कि क्षेत्रीय इकाई के रूप
में जिले का लम्बा इतिहास है जो मौर्यकाल से शुरू होता है | मुग़ल काल के दौरान
जिले को सरकार कहा जाता था और इसके प्रमुख को करोड़ी फौजदार कहते थे | सैन्य
अधिकारी सूबेदार के सीधे नियंत्रण में काम करते थे |
और आज के समय का जो जिला प्रशासन का पद है वह
ब्रिटश ईस्ट इण्डिया कंपनी कि देन है | इस
पद का सृजन सन 1772 में
तत्कालीन गवर्नर जरनल वारेन हेस्टिंग्ज ने किया था | सन 1787 में जिलाधीश को राजस्व संग्रहण के आलावा नागरिक न्याय और
मजिस्ट्रेट के कार्य कि जिम्मेदारी भी सौपी गई थी | उस समय जिलाधीश अत्यधिक
शक्तिशाली पदाधिकारी था जिसे लिटल नेपोलियन भी कहा जाता था |
लेकिन देश कि आज़ादी के बाद से इसके काम काज
किस शैली में काफी कुछ बदलाव हुए है पुलिस शासन कि जगह कल्याणकारी शासन कि ओर ध्यान दिया गया जिसके चलते काफी कुछ
इसके काम काज में बदलाव किया गया है |
जिला धीश के काम और उसकी भूमिका :
क
राजस्व प्रशासन |
ख कानून व्यवस्था से जुड़ा प्रशासन कार्य |
राजस्व प्रशासन – विगत में जिलाधीश का प्रथम
कार्य राजस्व संग्रह करना था , जैसा कि कलेक्टरेट शब्द का अर्थ भी है संग्रहकर्ता
| जिला धीश आज भी जिले में राजस्व प्रशासन का प्रमुख है | गुजरात और महाराष्ट
राज्य में राजस्व बोर्ड या राजस्व अधिकरण के माध्यम से और पुजाब तथा हरियाणा व
जम्मू कश्मीर में वित्त आयुक्त के माध्यम से राजस्व संग्रहण के लिए राज्य सरकार के
प्रति जिम्मेदार है |
जिले में राजस्व प्रशासन के प्रमुख के रूप
में जिलाधीश निम्नलिखित कामो के लिए जिम्मेदार है :
भूमि राजस्व
संग्रहण के लिए |
अन्य सरकारी बकायो कि वसूली के लिए |
ऋण के वितरण और वसूली के लिए |
भूमि अभिलेखों के रखरखाव के लिए |
ग्रामीण आकडे एकत्र करने के लिए |
आबादी के बसाव के प्रयोजन से भूमि अधिग्रहित
करने के लिए |
भूमि सुधार से सम्बंधित कार्यकमो लागू करने
के लिए |
कृषि कार्य से जुड़े लोगो के हित कि देखभाल
करने के लिए |
प्राक्रतिक आपदा ,बाढ़, सुखा ,आग जैसी
प्राकृतिक अपदाओ के समय रहत कार्यो कि
अनुशंसा करने और फसलो को हुई क्षति का आंकलन करने के लिए |
कोषागार और कोषागार पर्वेक्षण के लिए |
स्टांप अधिनियम लागू करने के लिए |
सरकारी संपदाओ के प्रबधन के लिए |
निचले प्राधिकरण के आदेशो के विरुद्ध राजस्व
से जुडी अपीलों कि सुनवाई करने के लिए |
जमीदारी प्रथा के उन्मूलन के कारण
क्षतिपूर्ति के भुगतान के लिए |
ख
कानून व्यवस्था से जुड़ा प्रशासन |
जिले में कानून व्यवस्था को बनाये रखने
कि जिम्मेदारी ही जिला अधिकारी की पहली जिम्मेदारी
है | आज़ादी से पहले जिलाधीश को कार्यकारी मजिस्ट्रेट और न्यायिक मजिस्ट्रेट दोनों
का काम करना होता था | लेकिन आज़ादी के बाद
भारतीय सविधान के अनुच्छेद 50 के
तहत राज्य के निति निदेशक तत्वों के प्रावधानों के पालन में विधायिका को
कार्यपालिका से अलग कर दिया गया | जिसके फलस्वरूप जिला धीश कि न्यायिक मजिस्ट्रेट
कि भूमिका समाप्त हो गई | न्यायिक मामलो को जिलाधीश नामक नए पदाधिकारी के हवाले कर दिया गया | जो अब राज्य के उच्च
न्यायलय के सीधे नियंत्रण में काम करंता है |
जिला धीश अपनी क्षमता में जिला मजिस्ट्रेट के
रूप में जिले में कानून और व्यवस्था कि स्तिथि को बनाये रखने के लिए जिम्मेदार है
| इस उद्देश्य से जिला पुलिस अधिनियम 1861
के तहत जिले कि पुलिस प्रशासन को पुलिस
अधीक्षक के नेतृत्व में जिला मजिस्ट्रेट कि सहायतार्थ सदैव तत्पर रखा जाता है |
पुलिस महानिदेशक के मातहत अधिकारियो का नियंत्रण होता है |
जिलाधीश , जिला मजिस्ट्रेट के रूप में अपनी
पद्स्तिथि में निन्मलिखित काम करता है |
जैसे :
अपने अधीनस्थ मजिस्ट्रेटो पर नियंत्रण और
उनका पर्वेक्षण|
शांति
व्यवस्था भंग होने कि आशंका में अपराधिक प्रक्रिया सहिंता कि धारा-144
के
तहत आदेश जारी करना |
सरकार और दूसरो से प्राप्त याचिकाओ का
निपटारा करना |
कैदियों को पैरोल पर मुक्त करना |
कारागारो का निरक्षण करना |
सरकार के वार्षिक अपराधिक रिपोर्ट पर्स्तुत
करना |
शस्त्र , होटल , विस्फोटक , पैट्रोलियम और
अन्य के लिए लाइसेंस को मंजूरी निलंबन और निरस्त्रीकरण करना |
कैदियों को बेहतर सुविधाओ कि मंजूरी |
जिला पुलिस को निर्देशित और नियंत्रित करना |
मनोरजन कर और प्रेस अधिनियम के प्रावधानों को
लागू करना |
वनों के विकास के लिए योजनाओ कि अनुशंसा करना
|
जिले में किसी असामान्य घटनाओ के घटित होने
कि स्तिथि में नागरिक प्रशासन कि सहायतार्थ सशत्र बल बुलाना |
ये सभी काम जिलाधीश के है कानून व्यवस्था को
बनाये रखने के लिए |
जिलाधीश कार्यालय (the collectorate office )
कोललेक्टरेट जिलाधीश \ जिला कलेक्टर का होता कार्यालय
होता है जो जिला मुख्यालय में स्तिथ होता है |यह कार्यालय विभिन्न अवुभागो
में बटा होता है | प्रत्येक कार्यालय
कलेक्टर के सह्यारातार्थ है ताकि वह अपने कामो निष्पादन
और प्रशासनिक जिम्मेदारियो का निर्वहन कर सके |
कलेक्टर में ये विभाग होते है :
लेखा अनुभाग भूमि अधि ग्रहण अनुभाग
नागरिक आपूर्ति विभाग भूमि रिकॉर्ड अनुभाग
विकास कार्य अनुभाग भूमि सुधार अनुभाग
चुनाव अनुभाग पंचायत अनुभाग
स्थापना /व्यवस्था अनुभाग प्रोटोकाल अनुभाग
सामान्य अनुभाग जन सम्पर्क अनुभाग
आवास अनुभाग राजस्व अनुभाग
सुचना अनुभाग पुनरवास अनुभाग
न्यायिक अनुभाग पंजीकरण
अनुभाग
परिवहन अनुभाग सांख्यकीय अनुभाग
ये सभी कार्यालय जिला कलेक्टर के अंतर्गत काम
करते है |
जिला स्तर पर काम करने वाले अन्य कर्मचारी |
एडमिनिस्ट्रेशन जिला स्तर के नीचे :
जिले में प्रशासन का प्रमुख जिलाधीश होता है उसके विभिन्न कामो में उसकी सहायता करने वाले के अधिकार का पदचिह्न इस प्रकार है :
डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन ग्रा
जिला जिलाधीश
उप संभाग उब संभागीय अधिकारी
तहसील या तल्लुका तहसीलदार
सिरकाल या परगना राजस्व निरक्षक
ग्राम पटवारी
जिले के स्थानीय शासन से आप भली-भांति परचित होंगे क्यूंकि ग्रामीण भारतीय के साथ शहरी भारतीयों को इन सब नामो से दो चार होना ही किसी न किसी काम की वजह से है | उम्मीद है जानकारी पसंद आएगी |