मुसलमान कौन है इस्लाम क्या है ?2023.
क्या आप जनाना चाहते हैं मुसलमान कौन हैं? इस्लाम क्या है ?
दुनिया में हर तरफ मुलसिम और इस्लाम को लेकर चर्चा का बाजार गरम है | दुनिया के पश्चिमी देशो के लोग इस्लाम को लेकर अपनी अलग अलग धारणाए रखते है | उसके पीछे सही जानकारी का न होना है | क्या आप भी यह जानना चाहते हैं कि इस्लाम क्या है और मुस्लिम कौन है ? अगर हाँ तो यह लेख आपके लिए सहायक हो सकता है ?
इस्लाम क्या है ?
हम अपने इस लेख में सबसे पहले यह जानने की कोशिश करेंगे कि इस्लाम क्या है ? और यह कब पैदा हुआ और देखते ही देखते दुनिया में यह कैसे सबसे लोकप्रिय धर्म बन गया? और इस्लाम के बारे में जानने और चाहने वालों का यह दावा है कि आने वाले सालों में दुनिया में सिर्फ इस्लाम ग़ालिब होगा | जैसे हम सभी को इस बात का इल्म है कि दुनिया में एक लाख चौबीस हजार पैगंबर आए और दुनिया के सभी इंसानों की माँ बाप हव्वा और आदम है और उनके औलादों में ही से खुदा ने दुनिया में पैगम्बर और किताबे भेजी | नूह से लेकर युसूफ और फिर मूसा इब्राहीम और आखिरी पैगम्बर मोहम्मद साहब इन सभी ने सिर्फ एक खुद की इबादत की बात की और उसी को इबादत के लायक माना जो इस दुनिया का खालिक और मालिक है और इस्लाम के मानने वाले इस्लाम की किताब कुरआन है जिसमें शामिल हैं वह एक खुदा होने की गवाही देता है | और पैगम्बर मोहम्मद दुनिया के आखिरी पैगम्बर है | और सिर्फ एक खुदा को ही इबादत के लिए माना क्योंकि इस्लाम है के अनुसार खुदा ही है जिसने इस दुनिया को बनाया है।
मुसलमान कौन है ?
अब हम यह जानते हैं कि मुसलमान कौन हैं ? वह मुस्लिम है जो खुद के होने और सिर्फ एक होने की बात का इकरार किया है और उसके सिवा कोई भी इबादत के नहीं यह दुनिया के आखिरी पैगम्बर हजरत मोहम्मद साहब का कहना है और उन पर नाजिल हुई किताब का भी यही कहना है | दुनिया में कुरान से पहली भी किताब नाजिल हुई असल नाम है, इंजील, जुबुर और कुरान, पैगम्बर मोहम्मद की दी हुई शिक्षा और इस्लाम की बुनियादी बातों पर टिके रहने वाले को मुसलमान कहते हैं |
इस्लाम के पांच स्तम्भ |
शाहदा :
इसका मतलब है गवाही देना है अल्लाह एक है और मोहम्मद साहब उनके रसूल है और यह गवाही हर मुस्लिम पर ग़ालिब है और गवाही हर मुस्लिम को निर्देशित होती है यह इस्लाम का पहला और मुख्य कदम है अल्लाह की सिवा को इबादत के नहीं लाया |
नामज :
सलात या नामज जिसका जिक्र कुरान में बार बार आया है हर मुस्लिम महिला और पुरुष को दिया गया है इस्लाम की शुरुआत से ही नमाज पढ़ने की राहत और आदेश है | यह इबादत और खुद से मुखातिब होने का एक जरिया है | जिसके जरिए आप खुद को हर दिन पांच बार याद कर सकते हैं उन्हें अपने घंटे के लिए माफ कर सकते हैं और खुद को दिए गए इनाम के लिए आप खुद का शुक्र कर सकते हैं |
रोजा :
इसका मतलब होता है उपवास करना या रुक जाना हर उस चीज से जो आपको किसी बुराई की ओर ले जाती है रोजे का तकवा, पापा से दूर की भूख को जानना और अल्लाह को अपने नेक अमल से राजी करना है और अपनी मिसाल से तौबा करना | यह रमज़ान के महीने में हर हर मुस्लिम और औरत पर फर्ज है |
जकात :
इसका मतलब पाक या शुद्ध होना है और यह आपके द्वारा कमाए हुए धन पर होता है जिसे हम जकात कहते है | इस्लाम में यह एक प्रकार का दान है | धार्मिक धार्मिक रूप से आवश्यक माना जाता है | जिसके माध्यम से आप अपने मुल्क शहर के कमजोर, शारीरिक रूप से अक्षम लोगो की सहायत कर अपने मालिक या सम्पति का एक हिस्सा दे कर खुद की राह में खुद को पाप से और अहंकार से बचा सकते हैं | इस्लाम की शरीयत के मुताबिक हर एक समर्पित मुसलमान को 52.5
तोला चांदी या 7.5 सोना या इसकी रकम या तिजारत (रोजगार) के इरादे से हुई हुई राय, माल, ज़मीन वगैरह वगैरह पर अपने बराबर आय में से उसका 2.5% दान में हर मुसलमान का कर्तव्य है | कुरान में जकात शब्द का जिक्र
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हज :
यह इस्लाम के मानने वालो के लिए पांचवी और अहम् बुनियाद है जो साल भर में दुनिया भर के मुस्लिम मक्का शहर में खुदा के घर काबा की जियारत करने के लिए हाजिर होते हैं और हजरत इब्राहिम के कुर्बानी को याद करते हैं | हर मुसलमान को अपने जीवन में कम से कम एक बार हज करना होता है भले ही महिला पुरुष दोनों का यह कर्तव्य है लेकिन अगर वह शारीरिक रूप से सक्षम है और खर्च उठा सकती है यह इस्लामिक कैलेंडर के 12
महीने यानि के जुल हज्जा की 8 से 12 वी तारीख तक जा चुका है।
उमीद है आपको यह जानकारी पसंद आई होगी |