2024 का लोक सभा चुनाव कौन जीत रहा है ? नरेंद्र मोदी या फिर कांग्रेस? Who will win elections 2024 NDA OR India alliance?
भारत में लोक सभा चुनाव 2024 सात चरणों में होंगे और पहला चरण 19 अप्रैल 2024 से शुरू हुआ।
भारत में आम लोक सभा चुनाव 19 अप्रैल को चुनाव शुरू हुआ उससे पहले ही भाजपा इस बार 400 पार के नारे के साथ चुनावी मैदान में उतरी थी लेकिन जैसे जैसे चुनाव के चरण आगे बढ़े, यह नारा उतना दमदार नही दिखा जितनी बुलंद के आवाज इस नारे के साथ भाजपा चुनावी मैदान में उतरी थी। क्योंकि चुनाव के हर चरण में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी देश की जनता के साथ अपने उन कार्यों के दम पर नहीं उतर रहे थे, जिसका कि उन्होंने पहले के चुनाव में जनता से वादा किया था । जनता नरेंद्र मोदी के उन कामों को अपने बीच न पाकर निराश नज़र आने लगी थी, उन्होंने अपने चुनाव में जनता से उनके खाते में 15 लाख रुपए देने का वादा किया था,जो जनता को नही मिला, उन्होंने देश में लोगो को जन धन योजना से जोड़ने का काम तो किया लेकिन उसमे धन जमा करने के लिए जो देश नौजवान पीढ़ी से 2 करोड़ रोजगार हर साल देने का वादा किया था उससे जनता खुद और नौजवान खुद को ठगा महसूस कर रहे थे। जनता नरेंद्र मोदी के राम मंदिर बनवाने के काम से खुश तो नज़र आ रही है,लेकिन रोजगार गारंटी उपलब्ध न होना उन्हे डराने लगा है।
दूसरी तरफ कांग्रेस को जिस तरह से जनता ने गरीबी और उनके न हजम होने वाले बयानों पर उनको 2014 में सत्ता से उखाड़ फेंका था। उस पर उधर कांग्रेस के मुखिया राहुल गांधी के नेतृत्व में भारत जोड़ों यात्रा से जनता के बीच अपनी बेहतर और जनता के नेता के रूप में अपनी पहचान बनाने में कामयाब जरूर हुए,लेकिन जनता का जनसैलाब वोट में तब्दील होगा यह या नही यह कांग्रेस के लिए चिंता का विषय हो सकता है, क्योंकि इलाहाबाद और फूलपुर लोक सभा में 40 से 45 डिग्री के तापमान में जिस तरह से यन्हा की जनता इन दोनो ( राहुल गांधी और अखिलेश) को देखने और सुनने को उमड़ी थी। लाखों की संख्या में यह बताता है की जनता में भाजपा के प्रति कन्ही न कन्ही रोष ज़रूर है। जनता पर पड़ रही महंगाई की मार और बेरोजगारी का दर्द कन्ही न कन्ही अब जनता को भी डराने लगा है। दूसरी बात भाजपा ने जिस तरह से अपने हर भाषण में भारत के मुस्लिम समुदाय को केंद्र बिंदु पर रखकर हिंदु खतरे में है की बात की कांग्रेस और स्थानीय राजनीतिक दल जनता को यह समझाने का भरसक प्रयास कर रहे है की भाजपा केवल हिंदू मुस्लिम कर रही है, और वह लेकिन जनता के हित का काम नहीं कर रही है, इस मुद्दे को आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने भी भारी आवाज में उठाया, साथ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी इस मुद्दे को लेकर भाजपा को घेरने का काम किया।
भारतीय राजनीति में यह पहली बार हुआ की 41 राजनीतिक दलों ने विपक्ष की भूमिका निभाई।
कांग्रेस ने भाजपा को हराने के लिए तमाम स्थानीय दलो के साथ गठबंधन कर भाजपा के खिलाफ मैदान में उतरने और भाजपा को घेरने की तैयारी की और इंडिया गठबधन के साथ चुनाव लड़ रही है जिसमे कुल 41 दल मिलकर विपक्ष की भूमिका अदा कर रहे है और इस गठबंधन की नीव 18 जुलाई 2023 को हुई । इसकी अध्यक्षता कर रहे मल्लिका अर्जुन खड़गे। 2024 के लोक सभा के आम चुनाव में भाजपा अपने संंगठनो और कांग्रेस 41 राजनीतिक दलों की पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है। अब सवाल यह उठता है की क्या वास्तव में इतने बड़े गठबंधन के बाद भी कांग्रेस भाजपा को हराने में कामयाब हो पायेगी यह तो 4 जून के बाद ही पता चलेगा।
भारतीय राजनीति में पहली बार हुआ भाजपा दुनिया की सबसे पार्टी बनी। और मैदान में 400 पार के नारे के साथ मैदान उतरी।
भारतीय राजनीति में यह पहली बार हुआ है की भाजपा जैसी पार्टी जो कभी कांग्रेस के सामने कन्ही टिकती नही थी 2019 तक वह अपने 11 करोड़ सदस्यों के साथ दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी के रूप में जानी जाने लगी। भाजपा ने 2014 में पहली बार पूर्ण बहुमत हासिल किया 282 सीटे जीतकर ,एक बड़ा जनादेश प्राप्त किया देश की जनता से ढेरो वादे करके । और अपनी जीत को पुन दोहराते हुए भाजपा ने 2019 के लोक सभा चुनाव में 303 सीटें जीती। भाजपा जो 6 अप्रैल सन 1980 में एक पार्टी बनी । भाजपा ने सन 1989 के लोक सभा चुनाव में 85 सीट, 1991 में 120 तथा 1996 में 161 सीट ही प्राप्त कर सकी। पूर्व प्रधानमंत्री मंत्री अटल बिहारी वाजपेई के नेतृत्व में पहली बार भाजपा ने प्रधान मंत्री की सपथ ली और यह सरकार केवल 13 दिन ही चल सकी। और समर्थन वापस लिए जाने से सरकार गिर गई , फिर 1998 में के आम चुनाव में 182 सींटो पर जीत दर्ज की। अटल जी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार ने सपथ ली लेकिन जयललिता के अन्ना द्रमुक के समर्थन वापस लेने की वजह से सरकार अल्प मत में आ गई और अपना विश्वास मत हासिल के अभाव में सरकार गिर गई। सन 1999 में फिर आम चुनाव हुआ और अटल जी के नेतृत्व में भाजपा ने पुन 182 सीट प्राप्त की। साथ ही राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को 306 सीटे प्राप्त हुई। एक बार फिर अटल जी के नेतृत्व में भाजपा नीत राजग की सरकार बनी।
मोदी लहर तो नही है लेकिन लोग प्रधान मंत्री को मंत्री के रूप लोग नरेंद्र मोदी को देखना चाहते है क्योंकि उनके सामने कोई मीडिया ने नरेंद्र मोदी की जो छवि दर्शाई है वो लोगों के जेहन में घर कर गई है।
लेकिन क्या जो करिश्माई सत्ता 2019 के चुनाव में भाजपा ने हासिल की थी इस बार भी वह आंकड़ा पार कर पाएगी ? तो आपको बता दूं यह अब बहुत मुश्किल नजर आ रहा है, क्योंकि भारत में सबसे अधिक आबादी और और सबसे अधिक लोक सभा सीट वाला राज्य है उत्तर प्रदेश और उत्तर प्रदेश की जनता एक वर्ग जो भाजपा के समर्थन में नजर आ रहा है वही माध्यम वर्गीय परिवार और लोअर मध्यम वर्गीय परिवार भाजपा से नाराज नजर आ रहा है, युवा वर्ग भाजपा की नीतियों के बिलकुल खिलाफ नजर आ रहा है, उसके साथ साथ माध्यम वर्गीय परिवार भी भाजपा से अब दूरियां बनाने लगा है, पूर्वांचल की जिन सीटों से भाजपा ने जीत की बढ़त हासिल की थी अब उसी पूर्वांचल के लोग विकास ने नाम पर खुद को ठगा महसूस कर रहे है,हालंकी व्यापारी वर्ग भी भाजपा से अच्छा खासा नाराज नजर आ रहा है, और देश का अन्नदाता जो सालो दिल्ली की सड़को पर अपने एमएसपी कानून की मांग को लेकर सड़कों पर रहा उसकी नाराजगी भी किसी से छुपी नहीं। भाजपा इलाहाबाद लोक सभा सीट, चंदौली,फूलपुर, मिर्जापुर, बलिया, बनारस, राय बरेली, अमेठी सीटों पर भारी टक्कर देख रही है, इंडिया गठबंधन के चलते यन्हा की जनता इस बार भाजपा से पल्ला झाड़ने के मूड में नजर आ रही है।
क्या कहते है लोग एक्सिट पोल?
भारत के कुछ एक्जिट पोल इंडिया गठबंधन की सरकार बनने का दावा कर रहे तो कुछ एक्सिट पोल भाजपा को अच्छी बढ़त के साथ जीता रहे है। लेकिन जनता के बीच जाकर जो जानकारी सामने निकल कर सामने आ रही है जनता इस बार भाजपा से पल्ला झाड़ने के पूरे मूड में नजर आ रही है। लोक इंडिया गठबंधन की सरकार को 270 से 80 सीट देने के मूड में नजर आ रहे है, और भाजपा को 160 से 165 देने की बात कर रहे।
दैनिक भास्कर अपने लेख में कुछ एक्जिट पोल के नमूने को इस प्रकार से दर्शाता है। जो निर्णायक मोड़ लेने वाला राज्य है उत्तर प्रदेश के सीटों के हिसाब से।