आप या मैं या वो कभी भी किसी घटना स्थल पर शिकार हो सकते हैं।
मैं दिल्ली से ओराई के लिए हाईवे से हुआ अपनी गाड़ी से जा रहा था मुझे चाय पीने की आदत है और काफी देर तक गाड़ी चलाने के बाद थोड़ी सी थकान मेहसूस हो रही तो चाय की तलब लगी थी पर हाईवे की वजह से दूर दूर तक कोई चाय वाला एक घंटे पहले ही आगरा को पार कर गया था। कुछ दूर पर जाकर मुझे हाईवे के किनारे एक चाय वाली दुकान दिखाई दी और मेरी गाड़ी की दुकान के सामने झूमने और चाय वाले से एक चाय की मांग की ओर सामने टेबल पर बैठ कर चाय का इंतजार करने लगे। जिस टेबल पर मैं बैठा था, उसकी सामने टेबल पर एक सज्जन चाय का आनंद लेते हुए अख़बार पढ़ रहे थे। और चाय वाले से बीच में शहर में घटी घटनाओं के बारे में चाय वाले मिश्रा जी की रायशुमारी भी रहे थे। मिश्रा जी ने इस बीच सज्जाद पुरुषों के बातो में जी-जी की बातो में जी-जी की हजारी लग रहे थे।
देश प्रगति के पथ पर प्रगतिशील है तो मैं जिस सड़क के किनारे खड़ा था वो चौड़ी थी और नई लग रही थी । मेरे लिए यह शहर नया था और सड़क पर भी लोग अपनी गति के बेहतर प्रदर्शन कर रहे थे। मुझे चाय पीने के करीब 10 मिनट ही हुए थे कि एक सफेद रंग की स्कॉर्पियो दुकान के सामने आ कर रुकी और इसमें 2 हट्टे कट्टे ग्रामीण परिधान में उतरे और बड़े आमाता से मिश्रा जी से 4 चाय लेकर गए। और मिश्रा जी से पूछा यहां से वृंदावन जाने दूर ? चाय वाले ने बताया की यहां से करीब 300 किमी दूर पर। चाय वाले मिश्रा जी ने चाय की कठपुतली को बताया। उन लोगो ने चाय पी और चाय वाले से चाय के पैसे पूछे तो मिश्रा जी ने 32 रुपये में बताया कि सब कुछ सामान्य सा दिख रहा था करीब 4 से काफी 4बजे का समय रहा होगा सूरज की तपन कम हो गया था। दूसरे वाले पुरुष ने फिर से पूछा कि क्या बोला?चाय वाले ने जवाब दिया 32 रुपये एक चाय 8 रुपये की है। पहले वाले सज्जित पुरुष ने तुम्हारे पास खोला
गाड़ी से एक भारी आवाज आई चौधरी तो जी सज्जाकार मेरे सामने टेबल पर रुक चाय पी रहे थे उन्होंने पूछा कौन ?? सोनू ?? इतने में दूसरे वाले ने देशी कट्टा निकाल कर 2 दागे दी गोली की आवाज से ही मेरे होश फाखता हो गए और मैं दूसरी तरफ देख ही रहा था कि पहले वाले ने ताबड़ तोड़ गोलियां चौधरी पर निशान दी। चौधरी वही मुंह के बल जमी पर सो गए।उनके अखरी शब्द थे अम्मा। यह कहकर कि चौधरी ने आंखे मूंद ली मैंने टीवी और सड़कों में श्रीनगर की दुकान की देखी की आवाज सुनी थी पर सामने यह सब होते हुए पहले बार तो मेरी शक्ति नहीं की मैं अपनी मेज से उठा सका जो ऐसा हुआ के मेरे शायर शून्य हो उठा हो और कोई भी हरकत मना कर रहा हो और चाय वाला तो अपनी दुकान में न जाने कन्हा छिप गया?उन दोनों अदमियो ने चौधरी को 2 गालियां दी और चौधरी को अपने पैरो से 2 -3 बार हिला कर देखा तो चौधरी दुनिया को अलविदा कह गए थे? उन दोनों ने जल्दी गाड़ी के शीशों को हवा की गति से देखा गया और देखते ही देखते कुछ मिंटो में आंखों से ओझल हो गए। मानो कोई प्रेत हो।
मैंने और चाय वाले ने कुछ समझ लिया था तब तक घटना घट चुकी थी और चौधरी दुनिया को गुड बाय कह चुके थे। उनके जाने के बाद चाय वाला आया और चौधरी को हिला कर चौधरी साहब साहब कह कर बोलने लगा कभी वो चौधरी को हिलाता कभी उसके मुंह पर पानी की छीं मरता तो कभी चौधरी चौधरी कह कर चिल्लाता हूं तो अपनी टेबल पर ही बर्फ की तरह जमता हूं ऐसा कहा जाता है कि मेरा शरीर एक दम ठंडा हो गया था उसने मुझे एक दो बार झकझोरा पर जब उसने मेरी हालत देखी तो उसने अपनी जेब से फोन निकल कर अपने गांव वालो को फोन करने के लिए मदद के लिए फोन किया। धीरे-धीरे दुकान के आस-पास लोग आते सागर होने लगे और देखते ही देखते ही हाईवे भीड़ में छा गए किसी ने पुलिस को फोन किया तो पुलिस को आने में करीब 30 से 35 मिनट लग गए। पुलिस आई और घटना स्थल की जांच में जुटी और चस्मदीदो से स्वाला जवाब करने लगी चस्मिद तो केवल दो ही लोग थे पहला चाय वाला और मैं। वह चाय वाला से पूछ रहा था ताछ कर रहा था तो पुलिस वाले ने पूछा दुकान की अगली तीसरी घटना है न उसने उत्तर दिया जी हुजूर मैं यह सुनकर दंग रह गया। यहां चौधरी से पहले 2 लोग और मारे गए हैं? मैं मन ही मन सोच रहा था की यह चाय वाला कितना डेयरडेविल है इतने वीराने में जहां दूर तक कोई नहीं वह चाय की दुकान खोलकर काम कर रहा है चारो तरफ खेत ही खेत देख रहे हैं मुश्किल से कोई 8-10 दुकान पर ही नजर आ रहा है पास और वह भी 400 से 500 मीटर की दूरी पर। फिर पुलिस वाले ने आपके बारे में पूछा और किसी घटना घटते हुए देखा उसने मेरी तरफ हांथ हिलाते हुए कहा ये भाईसाहब ने देखा लेकिन अभी उनकी हालत का कुछ नहीं आ रहा है ये बहुत डर गए हैं। थोड़ा शांत होने के बाद जब आप किसी सहयोगी पुलिस वाले से पूछते हैं तो मेरी तरफ देखते हैं कि मेरा शरीर को देख कर उसे मेरी उदासी का अंदाजा हो गया है। उसने पहली बार ऐसी घटना देखी है ?? योनर सिर हां में हिलाते हुए उत्तर दिया तो उसने कान्हा कोई नहीं थोड़ा सा विश्राम करो अभी भी धराशायी कुछ प्रश्न करने है तब तक पंचनामा कर लेता है। और उसने अपने दूसरे हवलदार साथी को एम्बुलेंस से बुलाने के लिए कहा और खुद पंचनामा करने लगी।
पंचनामा करने के बाद एंबुलेंस आई और मैंने चौधरी के शरीर को एंबुलेंस में रखा और तब तक मैं थोड़ा सामान्य हो गया था। अपनी घटना के बारे में बताया और पुलिस वाले ने मेरा जमा किया और बॉडी को लेकर अस्पताल लेकर आए सब आप में खुद फुसुर कर रहे थे ऐसा लगा मानो वो चौधरी को जानते हों? फिर मैंने चाय वाले से चौधरी के बारे में पूछा तो मुझे पता चला की चौधरी चाय वाले के गांव का ही सदस्य था और 15 से 20 दिन पहले ही उसका बड़ा बेटा और उसकी चित की भी हत्या ऐसे ही की गई थी सायद आपसी रंजिश का मामल था गांव की विरासत को लेकर.. सभी कुछ दृश्य देखते हुए करीब 6 बजट दिए गए थे और ऐसे मैं मैंने वहा और देर से रुकना उचित नहीं समझा हिम्मत बंधी और बिना रुके अपनी मंजिल की ओर पड़े पड़े। रास्ते भर वो मंजर मेरे जान में फिसलते हुए मैं कई महिनो तक उस घटना को भूल नहीं पाया।