चुटकी भर नमक।chutaki bhar namak
यह एक हिंदी काल्पनिक कहानी है, जो मन की भावना पर बनी है।
शकना छोटी से : छोटी जरा देख तो अम्मा ने अब तक सब्जी काटी की नहीं ? छोटी अम्मा अभी चौलाई का साग काट रही है,सकीना मन ही मन बुदबुदाते हुए, अम्मा को लदान घंटे पहले सब्जी काटने को दी गई थी अब तक न जाने क्या कर रही है? यहां मेरा चूल्हा खाली हो जाएगा। एक जान को कई काम है, छोटे पेट में लगे अमरूद के पेड़ को बड़े अमरूद को तोड़ने के लिए पेड़ को बड़े गौर से निहार रहे हैं। कभी पेड़ के दांए से तो कभी बांए से तो कभी माशरिक से तो कभी मगरिब जानिब से।अम्मा छोटी को यह सब पिछले एक घंटे से देख रही है और उन्हें अमरूद तोड़ने के लिए, नई नई तरकीब भी बता रही है, अमरूद के पेड़ पर बैठे तोते और चिड़िया के झुंड अमरूद को कुतर कुतर खा रहे हैं और अम्मा धीरे-धीरे चौलाई का साग भी कट रही है, अम्मा को चौलाई का साग बहुत पसंद है, तो आज वो शकना से उसे बनाने के लिए कहा लेकिन अम्मा को एक घंटे ज्यादा हो गया है, साग-काटते हो गए, पर अभी तक साग नहीं काटा । अम्मा स्वभाव की अच्छी है पर क्रोध की बहुत तेज थी। गोरा रंग चिपके हुए शरीर की हड्डियों पर चिपकी खाल, आंखे अब भी इतनी तेज की सरसो की थाली से कंकड़ बीन ले, सफेद काले बाल और खटाऊ की सफेद मतमछी ते धार धोती और जम्फर की एक जेब में रेगेरी पैसे जो शकना अम्मा की जेब में। मे लेकर देता है। अम्मा अपने सिरहाने दो चीजें हमेशा रखती थीं एक तस्बीह की मातृभूमि और दूसरे पान की पोटली और खाने में नखरे तो माशा अल्ला जैसे कोई बच्चा हो।मन का खाना हो तो नमक-मिर्च थोड़ा ज्यादा भी तो उफ तक न करें और न मन का हो तो शकना की जान को आफत। उसे खाने की पूरी जानकारी मिल गई थी। वैसेना अम्मा की पसंद थी जो अब्बा ने की थी बिना उनकी जानकारी के जब वो शकना को देखा था तो वे अब्बा को उनकी सभी खूबियां टपकाई थी। खुबसूरत तो ऐसी है जैसे दूध हो और माशा अल् कद में भी अपने बच्चे के होश की से अब्बा तो अम्मी के साथ बस साथ चले गए थे। बाकी का फ़ैसला तो अम्मी खुद ही करती थीं। वैसे अब्बा भी बहुत चालू थे, वे जानते थे ये मेरी मानेगी तो मेरे मन की नहीं और फिर सभी भड़ास मुझ पर ही निकालेगी इस के लिए वो घर का कोई फ़ैसला नहीं लेते वो अम्मी पर छोड़ दें ताकि वो उनसे लड़ें न इसलिए अब्बा ने जान कर अम्मी को शकना के घर ले गए थे। हालनकी वो जानते हैं पहले से शकना जुबां की थोड़ी तेज है, यह बात लड़के चच्चा रफीक मियां ने बताई थी कि उनकी नजर में उनके बच्चे के लिए एक अच्छी लड़की है।
रोलिंग मां की बच्ची बस जुबां का संक्षिप्त नाम है। अब्बा फोरन मान गए सांग्स के लिए और देखते ही देखते उन्हें सराफत मिया के घर ले गए शकना और मेरे सांग्स के लिए।अम्मी को सकीना पहली ही नजर में पसंद आई और अपना सीना ठोककर रही थी यह मेरी पसंद है। अम्मा ने शकना को उनके शर्मीले स्वभाव के लिए पसंद किया था। हालनकी शकनाना आज भी वैसे ही है पर जब अम्मा उसके खाने में नुस्क निकालती है तो वो झल्ला उठती है। अम्मा और तू तू हूँ। अम्मा शकना के अब्बू का नाम लेकर उसे हिम्मतो ताने का पहनावा पहना जाता है और जब तक वो ऐसा कर न ले तक वो अपने भोजन को हज़म नहीं कर पाता है। खाना उनके मन का न हो तो वो कहता है कि अल्लाह तौबा गलती से हो गया मुझसे शराफत की बिटिया को अपने घर लाकर। न खाने का शाहूर और न बड़े छोटे अदब नबांध और जुबां तो खाने में काली मिर्च से भी तेज करें।अम्मा सराफत मिया को बहुत सारी गलतियाँ देती हैं मन ही मन शकना के धारणा पर।
शहजादी नूर जिन्न के प्यार का किस्सा।
दिल्ली कतरन मार्केट मंगोल पुरी दिल्ली।
अब्बा को गुजरे आज कई साल हो गए तो वो अब सब सी महसूस करती है, तो इसलिए अम्मीना शक से लड़ने के लिए कोई न कोई घुलती निकाल ही लेती है। इतना बड़ा घर ऐसे शांति से लोग काट रहे हैं। जब मैं शाम को दुकान से घर लौटता हूं तो अम्मा से हुं मिलता है क्योंकि वो सबसे पहले पेट में तख्ता पर मेरी राह सेना में बैठी रहती है, पहले वो ऐसा अब्बू के लिए करती थी और अब मेरे लिए। और दिन भर की शकना की सारी गलतियां मुझसे पूछती हैं और साथ में यह भी आता है कि मुझे डांट दिया है तुम कुछ न कहो उसे। खाने के दस्तर ख़ान पर छोटी बोलती है की अम्मा और दादी अम्मा की लड़ाई आज कौन सी बात हुई।
सकीना जानती थी की वो अम्मा की गुमान है। क्योंकि उसने जिज्जन खाला और सैनब खाला के मुंह से भी अपने लिए कभी कोई बुरी बात नही सुनी और के उसकी शिकायत सिर्फ मुझसे करती हैं और साथ यह भी कहती है कि तुम उसे न डांटना मैंने उसे डांट दिया है। अम्मी ने अपनी बहनों से कभी कोई खामी कभी सकीना की नही गिनाई है। अम्मी हमेशा उनसे कहती है ये मेरी बहु तुम्हारी बहुओ की तरह थोड़ी हैं ,जो घर आए मेहमान को देख कर बीमार और परेशान हो उठती है। अम्मी को बहुत शौक था की उनकी बहु ऐसी हो जैसे उनके आस पास में कोई न हो कोई उनकी बहु को लेकर कोई खामी न निकाल सके ,और सकीना में वो खुबिया थी भी। इसलिए अम्मी सकीना से चाहे जितना लड़ ले लेकिन खाने में वो उनकी फरमाइस पूछने ज़रूर चली जाती थी कि वो क्या खाएंगी? तो वो कह देती मेरी अम्मा कभी अपनी फरमाइस का भी कुछ पका कर खिला दिया कर क्या जिदंगी भर मेरी ही फरमाइस पूछती रहेगी? अपनी फरमाइस का कब खिलाएगी जब मैं कब्र में पहुंच जाऊंगी तब क्या ? अम्मी हमेशा सकीना का उतना ही ख्याल रखती थी जितना सकीना अम्मी का सकीना को कभी किसी चीज का कोई मलाल न हो किसी चीज के लिए वो दुखी न हों वो फ़ौरन मुझसे कह देती थी । आज ये ले आना वो ले आना वो हमेशा छोटी से पूछती रहती की छोटी तेरी अम्मी ने खाना खाया क्या ?
सकीना ने अम्मा को नमाज़ पढ़ना सिखाया था अम्मा को नमाज़ पढ़ने की बड़ी लालच थी । जब सकीना नमाज़ पढ़ती तो अम्मा सकीना को नमाज़ पढ़ता देख बहुत खुश होती और ललचाती थी उनकी बहु में माशा अल्लाह बहुत गुण है । यह तो अपने दिनभर के गुनाहों का तौबा कर लेती है नमाज़ पढ़ कर मैंने जो गुनाह किए है ना जाने कौन कौन से उनकी माफ़ी कैसे मांगूंगी ? उन्हे अल्लाह के अजाब से बड़ा डर लगता था। जब एक दफा उन्होंने ये सुना बड़ी मस्जिद के इमाम की तकरीर में कयामत के दिन अल्लाह की बारगाह में सभी को अपने गुनाहों का जवाब देना होगा । अल्लाह सभी को कब्र से जिंदा कर के उठाएगा और उनके सभी नेकी और बदी का हिसाब लेगा अल्लाह सब गैब का जानने वाला है वो बड़ा रहमानो रहीम हैं। तौबा करने वालों को माफ़ कर देता है उन्हे बक्श देता है और मां बाप के कदमों में उनके बच्चों की जन्नत होती है।यह तकरीर सुनकर वह काफ़ी संजीदा हो गई और तबसे वो अल्लाह के अजाब से और उन्होंने उन बातों पर अमल करने का मन भी बनाया। हालनकी मुझसे उन्होने कई बार कहा कि मैं उन्हे नमाज़ पढ़ना सिखा दूं वो ना सही तो काम से कम तस्बीह पढ़ना ही सिखा दूं सो मैं एक रोज बाजार से तस्बीह की माला ले आया और दे दिया और मुस्कुराते हुए कहा अम्मा जब कभी नही पढ़ा तो अब क्या पढ़ोगी और कैसे पढ़ोगी तो उन्होंने कहा सकीना सिखा देगी उसे आता है।
उनके पास उनका एक काठ का बक्शा था जिसमें वो अपनी सारी चीज़े संभाल कर रखती थी। एक दिन जब हम सब खाने के लिए दस्तर ख़ान पर बैठे तब उन्होंने मुझसे अपना वो संदूक लाने के लिए कहा जिसमें उन्होंने मुझसे छुपा कर रखा था जब बक्सा मैंने खोला तो देखा अब्बा की कलाई घड़ी और टोपी उनकी दिलाई हुई 2 साड़ीयां और सकीना के लिए 2 मलमल के सूट जो न जाने कब का ख़रीद कर रखा था? और छोटी के लिए पायल का एक जोड़ा जो उन्होंने अपनी बेटी के लिए यानी मेरी बहन के लिए बनवाया था जो की कभी हुई नही और नन्हे नन्हे 2 कान के झुमके और 2 छोटे छोटे कंगन मुझे और सकीना दोनो को देखकर बड़ा ताज्जुब हुआ। अम्मी ने सब चीजें इतनी अच्छी तरह से सहेज कर रख रखी है, अम्मी ने बक्से में टोपी और अब्बा की कलाई की घड़ी मुझे थमा दी , और एक साड़ी उन्होंने निकाल कर मुझे दी और एक सकीना को और सकीना से कहा जब मैं इंतकाल फरमा जाऊं तब मेरे जनाजे पर सकीना यह साड़ी मुझे पहना देना । मैं और सकीना अम्मी को बडी हैरत से देख रहे थे। उन्होंने झुमके और कंगन निकाले और उन्हे चूमते हुए सकीना को दिया और बोली ये मेरी छोटी को दे देना और उस से कहना ये तुम्हारे अब्बू तुम्हारे लिए हैं। और अपने हाथ का एक कंगन अपने हाथ से निकाल कर सकीना को पहना दिया। और बोली जब मैं दूसरा कंगन मेरी छोटी बहन सैनब खाला और जिज्जन खाला को दे देना। जब मुझे आखिरी बार नेहलाए। सकीना खुशी से गदगद हुई जा रही थी अपने लिए इतना स्नेह पा कर और वही दूसरी तरफ उसके आंसू नहीं थम रहे थे अम्मा की बाते को सुनकर अम्मा ने सकीना से उस समय अपने सभी बातों के लिए मांफी मांग ली जो भी वो लड़ाई में सकीना को लड़ाई में कुछ कह सुन लेती थी।
यह सब देखकर मेरा कलेजा मुंह को आ गया मेरी आंखे डब्बा हो गई। और मैंने मां के हाथ में अधिकृत को मुंह ठीक किया। तब मां ने मुझे पकड़ कर कहा मेरे बच्चे ने मेरे जाने के बाद भगवान को देखा कि तेरे आंसू पोछेंगे इसलिए ही यह अधिकार आकर्षण है। और उसके तीसरे ही दिन अम्मा ने आँखे मूंद ली।