कुरान में औरत के हक की बात |
कुरान में औरतो के हक । कुरान में औरतों के हुकूक।
परा चार और पांच |सूरह अन्निसा |हिंदी अनुवाद
आप इस लेख में जो कि हिंदी अनुवाद है आप औरतो के हक के बारे में जान सकते हैं, आप जान सकते हैं कि हक और शादी के मसले के अपने जवाब जो आपको कुरदते हो| किन औरतों से निकाह करें और किन्हीं सीमित से नहीं।
अगर तुम खुदा और उसकी पाक किताब कुरान पर ईमान रखते हो तो कुरान अपने चौथे पारे के आखिरी वरक सुरह अन्निसा में फरमाता है| ऐ ईमान वालो |तुम्हारे के लिए हलाल नहीं कि तुम ,वारिश बन जाओ और के जबरदस्ती और उन्हें रोके रखो कि उन्हें अपना दिया हुआ कुछ वापस ले लो लेकिन यह वह बेहाई की मुर्तकिब (दोष करने वाला) हो, और उन औरतो के साथ दस्तूर के अनुसार गुजरान करो, फिर अगर वह तुम न पसंद हो तो ऐन मुमकिन है की तुम एक चीज न पसंद हो और अल्ह रखना उसे बहुत सारी बातें|
और यदि कोई मामला हो तो एक बीवी की जगह दूसरी बीवी और तुम में से किसी एक को खजान दिया है, तो वह कुछ वापस न लो, क्या तुम वह मानते हो बुहतान (इलजाम रूप में) और सरह (वाजिह तौर पर) घुलने से।
और तुम कैसे वापस चले गए?
और उन औरतो से निकाह न करो इसलिए तुम्हारे बाप ने निकाह किया मगर जो गुजर गया, बेसक यह बेहया और गजब की बात है और बुरा रास्ता था|
तुम पर मैं और तुम बेटियां और तुम दौड़ो, तुम फुफियां और तुम बहने, और बतीजियां और बहिनें, और तुम उसे पिलाओ जो अंगूर दूध पिलाया और दूध पिलाती है और तुम्हारी मां और तुम बेटियां जो तुम्हारे लिए, तुम उन बीवियों से जिन से बना सोहबत की, पास बनाते हैं उन्हें कोई सोहबत की तो कोई घुलना नहीं तुम पर, और तुम्हारी उन बेटो की बीवियां जो तुम पुश्तों से है, और यह कि तुम दो बहनों को सागर करो लेकिन पहले गुजर गए, बेशक अल्ह बख्शने वाला मेहरबान है|
कुराना का पांचवा पारे का शुरुआती वारक
और खाबंद वाले औरते (हराम है) मगर (काफिरों की औरते) जिनके मालिक तुम्हारा हाथ पकड़ लेंगे (तुम मालिक हो जाओ), यह तुम अल्लाह का हुकम है, और उनके सिवा सब औरते तुम्हारे लिए हलाल है, दर्ज की गई है कि तुम चाहो अपने मालो से रिकॉर्डे(निकाह )में आने को, न कि हवसरानी को,पस तुम मे से जो उन्हें नफा (लज्जत) प्राप्त करें तो उनके मुकरर किए हुए मेहर दे दे और तुम पर उसमे कुछ दावे नहीं जिस पर तुम बाहम रजामंदिर हो जाओ उसके मुकर्रर कर लेने के बाद बेशक सब कुछ जानने वाला हिकमत वाला है
और जिस को तुम में से मकदूर न हो कि वह (आज़ाद) मुस्लिम बीवियों से निकाह करे, तो जो मुसलमान कांजी तुम्हारे हाथ की मिल हो (कब्जे में हो), और अल्लाह तुम्हारे ईमान को नौ जानते हैं, तुम एक दूसरे के (हम) जिनस हो), सो उनके मालिक की अनुमति से उन्हें निकाह कर लो, और उनके दे दो मेहर दस्तूर के अनुसार, रिकॉर्ड किए गए निकाह में आने वाले वालियां न कि मस्ती निकालने वालियां न आशनाई करने वाली वालियां छिपने, पर जब निकाह में आ जाएं फिर अगर वह बेहयाई का काम करे तो उस पर निसफ सजा है, जो आज़ाद औरतो पर है, यह उसके लिए जो तुममे से डरे (बदकारी की) परेशान करता है, और अगर तुम सबर करो तो तुम्हारे लिए बेहतर है, और अल्ला बख्शने वाला और मेहरबान है |
अल्लाह चाहता है कि तुम्हारे लिए बयान करदे और आकर्षण हिदायत दें तुम से पहले लोगो के तरीके की, और तुम तवज्जुह करे(तौबा स्वीकार करें) और अल्लाह जानने वाला और हिकमत वाला है| और अल्लाह चाहता है कि वह तवज्जु करे तुम पर, और जो लोग खावाशात की पैरवी करते हैं, वह चाहते हैं कि तुम राहे हिदायत से फिर जाओ बहुत ज्यादा | अल्ला चाहता है सब शरीर कर दे, और इंसान पैदा हुआ है |
अजहर की कलम
बहुत खूब मुझे अच्छा लगी कुरान की बाते
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