Indian muslim freedom fighters
muslim freedom fighters वो पांच भारतीय मुस्लिम स्वतंत्रता सेनानी जिन्होंने देश की आजादी में दिया अपना योगदान। 2023
Contribution, education and medical and aware for Liberty and rights and many more.
क्या आपको पता है की
किन किन मुस्लिम फ्रीडम फाइटर ने देश की आज़ादी में भाग लिया? नहीं चलिए तो आज हम
इस आर्टिकल में पांच MUSLIM FREEDOM
FIRTHER की बात करते है और उनके नाम के बारे में जानते
है वो कौन है? भारत देश की आज़ादी में सभी भारतीय लोगो ने कुरबानिया दी है और सीने
से सीना लगा कर देश की आज़ादी के लिए और अपने अधिकारों के लिए डट कर मुकाबला किया
है|
1 मौलाना अब्दुल कलाम आजाद : मौलाना अब्दुल कलाम आज़ाद एक प्रसिद्ध भारतीय
मुसलमान विद्वान होने के साथ वे एक कवी लेखक ,पत्रकार और भारतीय स्वतंत्रा सेनानी
थे | भारत की आज़ादी के बाद वह भारत के पहले शिक्षा मंत्री बने| उनका जन्म 1888 में मक्का शहर में हुआ उनका असल नाम
मुहीउद्दीन अहमद था| उनके वालिद और वलिदेंन दोनों ही एक शिक्षित परिवार से सबंधित
थे उनके नाना मदीना में एक प्रतिष्ठित विद्वान थे जिनकी ख्याति दूर दूर तक फैली
थी| मौलाना अब्दुल कलाम ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा अपने वालिद से लेने के बाद वह
मिश्र की प्रसिद्ध शिक्षा संस्थान जामिया अजहर चले गए जन्हा उन्हें ने उच्च शिक्षा
हासिल की |
अरब से प्रवास करके
हिंदुस्तान आये और कलकत्ता को अपनी कर्म भूमि बनाकर यंही से उन्होंने पत्रकारिता
और राजनितिक जीवन का आरंभ किया| कलकत्ता से ही उन्होंने एक साप्ताहिक पत्रिका
अलहिलाल निकला सन 1912 में| जिसमे अंग्रेजी हुकूमत की नीतियों की
आलोचनाए होती थी जिसके चलते अंग्रेजी
सरकार ने प्रतिबन्ध लगा दिया था| मौलाना आजाद राजनितिक गलियारे में सक्रिय रहे और
उन्होंने असहयोग आन्दोलन , भारत छोडो , और खिलाफत आन्दोलन में भी हिस्सा लिया|
महात्मा गाँधी के अहिंसा के विचारो से वो काफी प्रभवित थे| मौलाना आजाद का देहांत 02 फरवरी 1958 में हुआ था| उनका
मजार उर्दू बाजार , जामा मस्जिद दिल्ली के परिसर में है|
2 रफ़ी अहमद किदवई : रफ़ी अहमद किदवई का जन्म 18 फरवरी 1894 को उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के मसौली नमक
स्थान पर हुआ| उनके पिता जमींदार और सरकारी अधिकारी थे| रफ़ी अहमद की प्रारंभिक
शिक्षा बाराबंकी में हुई और अलीगढ के ए ऍम ओ कॉलेज से अपनी स्नातक की शिक्षा हासिल
की कानून की पढाई कर रहे रफ़ी ने महात्मा गाँधी के आवाहन पर असहयोग आन्दोलन में कूद
पड़े |
ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध प्रचार करने के अभियोग में उन्हें
गिरफ्तार कर लिया गया और दस महीने जेल में बंद रहे | देश के आज़ादी के बाद वह कई
विभिन्न पदो पर रहे| और देश की सेवा की मोतीलाल नेहरू के सचिव के रूप में काम किया और |खाद्य एव कृषि मंत्री के
पद पर रहे| रफ़ी अहमदो किदवई का 24
october 1954 में दिल्ली में हार्ट अटैक के चलते देहांत हो
गया|
3 हसरत मोहानी : हसरत मोहानी लखनऊ के करीब उन्नाव के क़स्बा मोहान में 1881 में पैदा हुए| ये वाही इंकलाबी शायर और स्वतंत्रता सेनानी है जिन्होंने “इन्कलाब जिंदाबाद” का
नारा लगाया था| वालिद का नाम अजहर हुसैन था और वह पेशे से जागीरदार थे और
फतेहपुर में रहते थे| हसरत का बचपन ननिहाल में गुजरा | शुरुआराती तालीम घर से हासिल की
उसके बाद मिडल स्कूल इम्तिहान में सारे परदेश में अव्वल आए और वजीफा के हक़दार बने,फिर एंट्रेंस का इम्तिहान
फतेहपुर से फर्स्ट डिवीज़न से पास किया और उसके बाद आगे की तालीम के लिए अलीगढ चले
गए जन्हा उनकी पुरी जिंदगी बिलकुल ही बदल गई| मौलाना हसरत मोहनी सही मायनों में गंगा जमुनी
तहजीब के आलंबरदार थे और कॉलेज में पढाई के दौरान ही क्रन्तिकारी आन्दोलन में कूद
गए और इसके चलते उन्हें सन 1903 में जेल भी जाना पड़ा और कॉलेज से निष्कासित भी किए गए|
मोहनी ने ग्रेजुएशन के बाद साल 1903 में अलीगढ से “उर्दू ए मुअल्ला” के नाम से एक पत्रिका निकाली जिसमे अंग्रेजी
हुकूमत के जुल्म और गलत नीतियों के बारे में खुलकर लिखते और आज़ादी के लिए लोगो को
जागरूक करते | जिसके चलते उन्हें जेल की
हवा खानी पड़ी इतिहासकारों के मुताबिक मौलाना हसरत मोहनी ने साल 1921 में इन्कलाब जिंदाबाद का नारा लिखा था
|यह वह नारा है जिसे भगत सिंह ने हमेशा के लिए अमर कर दिया | एक रोचक बात आपको बता
दे कि आज़ादी के बाद उन्होंने ने कोई भी सरकारी सुविधा लेने से इंकार कर दिया|यंहा
तक के खुद के खर्चे पर संसद जाते थे| 13
मई 1951 को लखनऊ में हसरत मोहानी ने इस दुनिया को
अलविदा कह दिया | और वन्ही सुपर्दे ख़ाक हो गए|
4 हाकिम अजमल खान : हकीम अजमल खान का जन्म 1863 में दिल्ली के उस परिवार में हुआ जिसके
पुरखे मुग़ल के परिवार के हकीम थे | अजमल खान ने अपनी हकीमी की पढाई पुरीकरने के
बाद दस सालो तक
रामपुर रियासत के हकीम रहे| सन 1902 में वह ईराक चले गए और वंहा से वापस आने के बाद
दिल्ली में तिब्बिया नामक मदरसे की नीब डाली जो दिल्ली में अब तिब्बिया कॉलेज है
जो करोल बाग़ में स्तिथ है|हकीम अजमल खां के परिवार के सभी सदस्य यूनानी हकीम थे|वे
उस ज़माने में दिल्ली के रहिसो में जाने जाते थे| 1918 में हकीम अजमल खां ने कांग्रेस में शामिल हुए और 30 march 1919 को दिल्ली में सबसे बड़ी हड़ताल हुई जिसकी योजना
अजमल हकीम खां ने की थी|सन 1921 में कांग्रेस के अहमदाबाद अधिवेशन की और खिलाफत
कांग्रेस की अध्यक्षता की और 29
december 1927 को इनका इंतकाल हो गया और दुनिया को अलविदा कह गए|
5 ऍम ए अंसारी : डॉ. मुख़्तार अंसारी एक प्रसिद्ध चिकित्सक,राष्टवादी मुस्लिम नेता, और
भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और वाराणसी में
राष्टीवादी विश्वविध्यालय कशी विद्यापीठ और दिल्ली में जामिया मिल्लिया स्थापित
करने में योगदान दिया था| डॉ मुख़्तार अहमद का जन्म 25 दिसम्बर 1880 को उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में हुआ था | अंसारी ने मद्रास तथा इंग्लैंड
में चिकित्सा के दायरे में शिक्षा हासिल की अंसारी ने एडिनबरा विश्वविध्यालय में
अपनी शिक्षा पुरी की और कई साल तक लन्दन के
विभिन्न अस्पतालों में काम किया|
भारत वापस आने के
उन्होंने ने दिल्ली में सन 1910 डॉकटरी शुरू की वह राष्टवादी आन्दोलन की तरफ
आकर्षित हुए और भारतीय राष्टीय कांग्रेस की अध्यक्ष रहे|सन 1928 में वे जामिया मिल्लिया के उप कुलपति बने और जीवनपर्यंत इसी पद पर रहे| 1920 में उन्होंने मुस्लिम लीग की अध्यक्षता का पद स्वीकारा| खिलाफत आन्दोलन
में सक्रीय रहे और 1922 में गया में आयोजित खिलाफत समेल्लन के अध्यक्ष का पद संभाला | और कई बार जेल
गए आन्दोलन में भाग और भूमिका निभाने पर| 10 मई 1936 में उनका देहांत हो गया | दिल्ली में अंसारी रोड उन्ही की याद में बनी है|
लेकिन वर्त्तमान समय में इनके नाम को कम ही लिया जा
रहा है जो की अफशोस की बात है | उम्मीद है
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