दिल्ली के कनाट प्लेस में क्या है खास?
शिवाजी टर्मिनल बस स्टैंड। |
अगर आप घूमना और खाने पीने के शौकीन हैं और आप दिल्ली के दिल कनाट प्लेस नहीं आते हैं तो बुराई क्या फिर क्या ही घुमे भारत की दिल दिल्ली और राजधानी दिल्ली दिल है कनाट प्लेस, जंहा भारत के प्रमुख ववेसायो का कार्यालय है और आर्थिक शाखाये भी है | सभी राजनाटिक सम्मेलन का घर भी कनाट प्लेस के आसपास ही है और इस लिहजा से यह एक अहम् स्थान रखता है और राजधानी दिल्ली का दिल भी है |
आइए जानते हैं कनाट प्लेस में घूमने के लिए क्या चीज मौजूद है?
यह नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से पांच से छह मिनट की दूरी पर मौजूद है और यह मौजूद है गोल अंक अंक बाजार, टॉवर और शीर्ष शीर्ष इमारतों और खुबसूरत मनमोहक आसमां को छूती इमारतों और बाजार, संगीत, मनोरंजन से लेकर न जाने और क्या चीजे सिनेमा से लेकर, रेस्तरां और भी कई क्लब मौजूद हैं कनाट प्लेस में और आप इसके बारे में निश्चित रूप से कुछ न कुछ रोचक बातें सुन ही ली होगी |
कनाट प्लेस के आस पास के मेट्रो स्टेशन
बाराखंबा रोड। |
अगर आप दिल्ली के कनाट प्लेस घूमते हैं या फिर कोई और भी जरूरी काम से आ रहे हैं तो इसका सबसे बड़ा मेट्रो स्टेशन है राजीव चौक मेट्रो स्टेशन और फिर कुछ ही दूरी पर जनपथ मेट्रो स्टेशन, शिवाजी स्टेडियम मेट्रो स्टेशन और फिर बारा खंबा मौजूद है
प्राचीन हनुमान मंदिर कनाट प्लेस दिल्ली। |
प्राचीन हनुमान मंदिर : दिल्ली का दिल
कहा जाने वाला कनाट प्लेस अपने आस पास कई ऐसी चीजे सहेजे हुए है , उनमे से ही एक
है ये हनुमान मंदिर जो अपने गौरवगाथा के लिए जाना जाता है और श्रद्धालु यंहा भरी
संख्या में हनुमान जी के इस मंदिर के दर्शन को आते है ऐसा
कहा जाता है कि यह मंदिर महाभारत कालीन है , यंहा उपस्तिथ हनुमान जी स्वंयभू है
,बालचंद अंकित शिखर वाला यह मंदिर आस्था का महान केंद्र है |इसका सुन्दर प्रांगन
कभी सुसज्जित है , और आस पास लगी दुकाने
हनुमान जी कि कृपा से फल फुल रही है , लोग वर्षो से उनकी सेवा में लगे है ,
और इसके साथ ही बने शनि मंदिर का भी
प्राचीन इतिहास है ,एक दक्षिण भारतीय द्वारा बनवाए गए कनाट प्लेस का शनि मंदिर में
भारत भर से दक्षिण भारतीय दर्शन के लिए आते है | प्रत्येक मंगल वार यंहा भजन
संध्या और भंडारा होता है जिसके चलते भक्तो कि भरी भीड़ लगी रहती है | इसके साथ ही भूमिगत खादी ग्राम हाट है , जन्हा
से आप अपने दैनिक घरेलु चीजे और सूती वस्त्र भी ले सकते है |
पालिका बाज़ार : पालिका बाजार नई दिल्ली का एक मुख्य और परसिद्ध बाजार
है , जन्हा देश विदेश के शैलानी खरीदारी
करते हुए आपको मिल जायंगे | इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह एक भूमिगत बाजार है
| इसकी स्थापना सन 1970
के अंत में हुई थी | यह विशेष रूप से सस्ते कपड़ो और इलेक्ट्रॉनिक
सामान के लिये जाना जाता है |
पालिका बाजार। |
रिवोली सिनेमा:
जनपथ मार्केट: जनपथ मार्किट
यह दिल्ली के जनपथ मार्ग और
LIC building के ठीक पीछे ही लगता है , कनाट प्लेस के इस बाजार में आप विदेशी शैलानी को भी खरीदारी
करते देख सकते है यह शोपिंग करने वालो के लिए एक स्वर्ग जैसे है , जन्हा से आप
सस्ते दामो में अच्छे और पारंपरिक पोषक के साथ वेस्टर्न लिबास भी कम दामो पर खरीद सकते
है और यंहा ज्यादातर महिलाओ के से जुडी चीजे बिकती है ऐसा नहीं कि युवको के लिए
कुछ नहीं है लेकिन आपको यंहा लेडीज सौंदय्र और लिबास के साथ जेवेलरी और घरेलु साज
सज्जा के सामान आपको यंहा मिलेंगे |
सेंट्रल पार्क : राजीव चौक मेट्रो स्टेशन के ऊपर निर्मित यह पार्क
काफी बड़े हिस्से में फैला हुआ है ,बीच में फुहारे और हरी हरी घास का सुन्दर मैदान
और असंख्य पेड़ पौधे और पुरे साल खिलने वाले फूलो के पौधों से यह पार्क सुसज्जित
किया गया है और सांस्क्रतिक गतिविधियों के लिए यह पार्क विकसित किया गया है 350 सीटो वाला एक
एम्फीथियेटर इस पार्क कि शोभा में चार चाँद लगा देता है , लोग यंहा काम से फुर्सत
पाक कर लंच और सुबह और शाम में टहलने का आन्दन लेते है |
जंतर मंतर : दिल्ली के कनाट प्लेस में मौजूद जंतर मंतर एक पुराने समय का समय सूचक और ग्रहों कि दशा और दिशा बताने वाला एक यंत्र है जिसका निर्माण सवाई जय सिंह ने करवाया था इसके पीछे एक रोचक किस्सा है मोहम्मद शाह के शासन काल में हिन्दू मुस्लिम्म खगोलशास्त्रियों में ग्रहों कि स्तिथि को लेकर बहस छिड़ गई थी इसे ख़त्म करने के लिए इस का निर्माण राजा जय सिंह ने करवाया | इसके अलावा जय सिंह ने जयपुर , उज्जैन , मथुरा , और वाराणसी में भी करवाया था | जो उस समय कि एक विज्ञानं कला थी |यन्हा घूमने के शुल्क लगते है 25 रुपए प्रति व्यक्ति टिकट है।
दिल्ली कानाट प्लेस। |
उग्रसेन कि बावड़ी : यह बावड़ी बारा खम्बा मेट्रो स्टेशन से थोडा आगे
चलकर टॉलस्टॉय मार्ग चौक के दांयी और थोड़ी
सी दुरी पर मौजूद है धोबी मोहल्ला के बगल में , यह उग्रसेन द्वारा पानी संरक्षण के
लिए बनवाई गई थी जो काफी अद्भुत और मनमोहक है जैसा कि आप चित्र में देख सकते है |
उग्रसैन बावड़ी। |
NSD
(राष्टिय स्कूल ऑफ़ ड्रामा): राष्टीय नाटक विद्यालय , यह अदाकारी कि
कला सिखाने वाली सबसे महत्त्वपूर्ण शिक्ष्ण संसथान है जो दिल्ली के कनाट प्लेस में
मौजूद है , इसकी स्थापना संगीत नाटक अकादमी ने 1959 में
कि गई थी | यह भारत सरकार के अंतर्गत एक स्वशासी संसथान है , बॉलीवुड के बहुत से
दिग्गज कलाकार यंहा से शिक्षा प्राप्त की है , अन्नू कपूर , सतीश कौसिक इरफ़ान खान , अनुपम खैर
,स्वानंद किरकिरे, अतुल कुलकर्णी ,पियूष मिश्रा, ओम पूरी,नसुरुद्दीन शाह ,
नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी ,राजपाल , यादव |
शिवाजी स्टेडियम: दिल्ली के
कनाट प्लेस बस स्टैंड के ठीक साथ मौजूद है शिवाजी स्टेडियम जो हॉकी के लिए ओलंपिक
खेलो के लिए विकसित किया था | आज भी यंहा कई टूर्नामेंट आयोजित किये जाते है ,
इसकी भाव और ऊँची दीवार को देख कर आप को ऐसा लगेगा मानो जैसे कोई कॉर्पोरेट
कार्यालय हो | इसमें एक साथ 5500 दर्शको के बैठने कि छमता है ,इसके साथ साथ एक
स्टोर रूम ,लाकर रूम और कॉमन रूम और वाशरूम कि सुविधा मौजूद है , और भूमिगत
पार्किंग सुविधा भी शुल्क सहित उपलब्ध है |
और भी बहुत कुछ है यंहा आपके लिए यह गोल जबकि आते हुए एक नंबर बाजार में आया और न केवल देश बल्कि विदेशो के शैलानियो का यंहा ताता लगा रहता है, और शाम के समय यंहा के मनोहर और दिल को सोच देने वाला दृश्य मैंने कभी नहीं देखा था से पहले जब शाम को घडी में पांच बजे और सूरज की रोशनी कम होने लगी तब यंहा कर्ता कि रौनक बढ़ने लगी शुरू होने के लिए चक्कर की दुकान ने दुकान ने सजानी शुरू कर दी लोग शाम के इस पहर अपने दिन भर के काम काज से फ्री सिगरेट के धुने संग अपने फिकरो भी स्मोक स्मोक कर रहे हैं नवयुवक पुरुषों के साथ नवयुवतियां भी आपको यंहा सिगरेट के धब्बे को झुलसाते नजर आते हैं | और लोग आइसक्रीम और जायके दार लजीज के साथ अपने जुबान को अनद और दिल को रहत देते हुए नजर आ रहे हैं। था | अगर आप यह सुनहरी शुकून देखना चाहते हैं तो आप शाम के समय यंहा जरूर आंए वरना ये सब आप मिस कर देंगे |