दिल्ली के दिल कनॉट पैलेस के पास क्या है?2023
भारत की राजधानी दिल्ली को यूँ ही नहीं भारत का दिल कहा जाता है, राजधानी दिल्ली का दिल है कनाट प्लेस जिसे लोग राजीव चौक और सीपी भी कहते हैं, लोग इस जगह और बाज़ार दोनों के दीवाने है, राजधानी दिल्ली के दिल में बसता है कनाट प्लेस, भारत के प्रमुख उद्योग का कार्यालय मौजूद है | कनाट प्लेस भारत के मुख्य वाणिज्य और पर्यटन में से एक है यह शोपिंग का हब है, यंहा आपको कपडे, बूट्स, एक्सेसरीज और भी चीजें जो आपकी जरूरत हो वह यंहा आसानी और अच्छे दामों में मिल जाता है। यन्हा रात और दिन दोनों समय चहल पहल बनी रहती है।
दिल्ली में ऐतिहासिक रूप से कई सी चीजें मौजूद हैं , चाहे वह लाल किला हो, चांदनी चौक, मीना बाजार, जामा मस्जिद हो, या फिर मुगल गाडर्न, इंडिया गेट हो या फिर गुरु द्वारा आवासा साहिब या फिर शीश गंज गुरु द्वारा, कुतुब मीनार , हजरत निजामद औलिया कि दरगाह, हुमायु का मकबरा, फिर दिल्ली की संसद भवन, अक्षर धाम मंदिर, लोटस मंदिर हो, या फिर इस्कॉन मंदिर, या फिर दिल्ली के दिल में बसा कनाट प्लेस में मजूद अग्रसेन कि ब |
यह ऐसी जगह है जहां आपको दिल्ली घूमना आता है तो एक बार जरूर आना चाहिए | यह बहुत सी ऐतिहासिक स्मारक, सामान्य से लेकर रेस्तरां, संग्रहालय और शॉपिंग मार्किट मौजूद हैं, जैसा कि मैंने पहले ही आपको बताया था कि यह दिल्ली का दिल है, इसकी ऊंचाई से यंहा वह हर चीज मौजूद है जो किसी की जरूरत के होश से खाने से है लेकर मौज मस्ती और रोजगार तक के सभी उपकरण इस बाजार में मौजूद हैं।
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ऐसा माना जाता है कि दिल्ली के कनाट प्लेस को सन 1920 के दशक में आर्किटेक्ट रॉबर्ट टोर रसेल द्वारा डिजाइन किया गया था।ब्रिटिशो के लिए यह शोपिंग डिसऑर्डर था | जबकि रंग से सजी की छत प्रत्यक्ष रूप से खुबसूरत दिखाई देती है और अब इस जन सुविधा का ध्यान रखते हुए दिल्ली के नगर कि देखें रोबोट में आप ही आकर्षित और आकर्षित होते हैं |भारत के तटरेखा प्रधान मंत्री राजीव गांधी के नाम पर सन 1995
में इसका नाम अलग-अलग राजीव चौक रखा गया था राजीव चौक मेट्रो स्टेशन का एक खुबसूरत उदारहण है आपको जानकर हैरानी होगी कि यह भारत का नौवा सबसे महंगा बाज़ार है |
वैसे तो यहा 2
से एक किलोमीटर की सड़कों में घूमने से जुड़ी कई चीजें हैं जैसे अगर आप बस से यंहा आते हैं तो बस आपको यान्हा के प्रमुख बस टर्मिनल शिवाजी स्टेडियम बस टर्मिनल पर उतरेगी जो इसके ठीक उत्तरी दिशा में मौजूद है। सी चमत्कारती इमारत के रूप में और इसके पश्चिमी हिस्से में दिल्ली का परतीष्ठित हॉस्पिटल लेडिंग हार्डिंग मौजूद है, जो मेडिकल कॉलेज भी है | और इसके पूर्वी हाँथ पर यहाँ का सबसे प्राचीन हनुमान मंदिर है जिसके ठीक बगल में कनाट प्लेस थाना है और इसके सामने ही मस्जिद है | जिसके सामने दिल्ली पर्यटन का कार्यस्थान भी है |
उग्र सान की बावड़ी। |
अगर्सैन कि बावली:आज
हम अपने इस लेख में आपको कनाट प्लेस बाज़ार से कुछ ही दूरी पर मौजूद अगर्सैन कि
बावली के बारे में जानकारी देने वाले है , अगर आप दिल्ली से है और स्टूडेंट है तो
आपने एक न एक बार अपने कॉलेज फ्रेंड्स के साथ तफरी और मौज मस्ती मारने के लिए अग्रसेन कि
बावली अवश्य ही गए होंगे | जो दिल्ली के बारा
खम्बा मार्ग से कुछ ही दूरी पर मौजूद है , कनाट प्लेस में बनी ही राइज इमारतों के
चलते यह आपको नजर नहीं आएगी | यह बावली 15-16 शताब्दी कि झलक वाली एक बेहद ही खुबसूरत बावड़ी है जन्हा पर बरसात के जल को इकठ्ठा किया जाता था |
अगर्सैन कि बावली आने के लिए आपको बारा खम्बा मार्ग के बस स्टैंड के
पास उतरना है अगर आप बस आते है तो आगर मेट्रो से आते है तो आपको बर्खाम्बा मेट्रो
स्टेशन उतरना पड़ेगा | और अगर आप अपने साधन से आ रहे तो आपको पार्किंग जैसी मुसीबत
से दो चार होना पड़ेगा क्यूंकि इस एरिया में पार्किंग मिलना बहुत मुश्किल का काम है
|
Tolstoy मार्ग रेड लाइट। |
आप बारा खम्बा मेट्रो से या फिर बस स्टैंड पर बस से उतर कर पीछे कि और आये न कि कनाट प्लेस कि
और आप सीधा टॉलस्टॉय मार्ग कि रेड लाइट कि
तरफ आये जन्हा आपको दांये और बांये ये दोनों इमारते नजर आएँगी | आपको इस बड़ी ईमारत
के साथ वाले मार्ग कि और मुड जाना है , जो दाहिने हाथ कि तरफ नहीं है जिसका नाम हंस टावर है | कुछ ही दुरी पर चलने
के बाद जो पहला कट आएगा लेविन मार्ग के
नाम का उसी पर कुछ दूर तक चलना है और फिर दाहिने हाथ पर आपको फिर मुद जाना है
क्यूंकि यंहा इसके आसपास धोबी घाट है तो आपको उनसे पुछ लेना चाहिए नहीं तो घनी बस्ती
के कारन यह आपको नजर नहीं आएगी और आप बस इसके इर्द गिर्द चक्कर ही काटते रह जायेंगे
| आप यंहा विडियो ग्राफी और फोट शूट कर सकते है अगर आप इनके शौक़ीन है तो |
अगर्सैन कि बावली : यह एक सीढ़ीनुमा एक बावली या कुआँ है , और एक
भूमिगत ईमारत है इस कुंए में करीब 105 जीना
है ,इसका निर्माण मौसम परिवर्तन के कारन पानी कि आपूर्ति में आई अनियमितता को
कंट्रोल करने हेतु जल संग्रहण के लिए किया
गया था | इस बावली का निर्माण रजा उग्रसेन द्वारा किया गया | इस ईमारत कि मुख्य
विशेषता उत्तर में स्तिथ गहरे कुंए कि और लम्बी और कतारबद्ध सीढियाँ है | इस
सीढियों के दोनों और मोती दिवार और मेहराब युक्त गलियारों कि श्रृंखला है | यह
बावली 60 मीटर
लम्बी और 15
मीटर चौड़ी है | इसकी स्थापना
शैली उत्तर कालीन तुगलक तथा लोधी काल 15वी-16वी इसवी से मेल
खाती है | और इसके पचिमी द्वार कि तरफ तरफ एक मस्जिद भी मौसुद जो अब जर्जर हालत
में है | और यंहा पर खड़ा नीम का पेड़ बेहद ही शीतलता परदान करता है मार्च
इस मौसम में |
जैसा कि मैंने आपको पहले ही बताया था कि यंहा पर बहुत कुछ खरीदारी करने के लिए खरीदारी करने के लिए शाम के समय कनाट प्लेस का मंजीर ही अलग होता है।उम्मीद करता हु आपको यह जानकारी पसंद आई होगी |