लोकसभा और सांसद। संसद और सदस्य 2023
हम रोज संसद का नाम सुनते हैं जिनमे हमारे द्वारा चुने गए सांसद भारत कि राजधनी में स्तिथ दिल के
संसद भवन में बैठ कर भारतीय देश को कैसे समृद्ध बनाना है कि योजना करते हैं और हमारी जिले या राज्य की जनता और उनके कल्याण के लिए काम करते हैं |तो आइए जानते हैं कि भारतीय संसद का जन्म कैसे होता है? और यह हमारे लिए काम कैसे करती है?
भारत में संसद का गठन भारतीय सविधान के अनुछेद( 81
) भारतीय संसद एक ऐसी संस्था है जिसके दो सदन हैं | हमारे सविधान ने केंद्र और राज्य दोनों में मंडल सरकार की स्थापना की है, जिनमें राष्ट्रीय अध्यक्ष सम्राट या राष्ट्रपति कार्यपालिका का “ वैधानिक प्रधान” होता है | और वास्तविक शक्ति जो वह प्रधान मंत्री और उनके मंत्रिमंडल के पास है | और ऐसा प्रावधान किया गया था कि कैबिनेट में देश के सभी समुदायों के प्रतिनिधियों को होना चाहिए ( हिंदू , मुस्लिम , सिख , इसाई , जैन , हरिजन आदि | ) कम से कम एक सदस्य सभी समुदायों से हो और सभी राजनितिक पार्टियों से एक सदस्य हो |
पहली संसद यानी संसद की स्थिति और शक्ति और भूमिका को समझती है:
भारत एक संसदीय प्रणाली लोकतान्त्रिक देश है जो भारतीय सविधान के द्वारा चलता है | यह ब्रिटिश शासन प्रणाली पर आधारित है | इसकी वास्तविक स्थिति को समझने के लिए हम तीन बातों पर विचार करना होगा
पहला : ससंद की अधिकृत या कानूनी शक्तिया और विशेषाधिकार क्या है ?
दूसरा : अब तक उसे क्या हासिल हुआ है ?
तीसरा : संसद की आलोचना के प्रमुख मुद्दे क्या रहे ?
लोक सभा
अनुछेदित ( 81 ) यह भारतीय संसद का पहला सदन है , जिसके सभी सदस्य जनता द्वारा परत्यक्ष रूप से चुने जाते हैं | कई राज्यों के 530 प्रतिनिधी हो सकते हैं और बाकि के 20 सदस्य संघ साहित प्रदेशो से होंगे | इनमे 550 सदस्यों के अलावा राष्ट्रपति समझ तो दो एग्लो इंडियन सदस्यों को मनोनीत कर सकते हैं
आप इसे ऐसे भी समझ सकते हैं |
लोकसभा में विभिन्न राज्यों और संघ साहित क्षेत्रों के लिए निर्धारता सीट
राज्य का नाम |
सीट्स ( 2008 के आक्सों के अनुसार |) |
सदस्य या पद का नाम |
राज्य जनसख्या 2011 के अनुसार |
आन्ध्र प्रदेश |
25 |
सांसद |
8 करोड़ 46 लाख |
अरुणाचल प्रदेश |
2 |
सांसद |
1,097,968 |
असम |
14 |
सांसद |
26,655,528 |
बिहार |
40 |
सांसद |
82,998,509 |
गोवा |
2 |
सांसद |
1,347,668 |
गुजरात |
26 |
सांसद |
50,671,017 |
हरियाणा |
10 |
सांसद |
21,144,564 |
हिमाचल प्रदेश |
4 |
सांसद |
6,077,900 |
हा का |
5 |
सांसद |
10,143,700 |
कर्नाटक |
28 |
सांसद |
52,850,562 |
केरल |
20 |
सांसद |
31,841,374 |
मध्य प्रदेश |
29 |
सांसद |
60,348,023 |
महाराष्ट्रा |
48 |
सांसद |
96,878,627 |
मिनिपिड |
2 |
सांसद |
2,166,788 |
मेघालय |
2 |
सांसद |
2,318,822 |
मिजोराज्म |
1 |
सांसद |
888,573 |
उत्तराखंड |
5 |
सासंद |
8,849,349 |
संज्ञेय |
17 |
सांसद |
76,210,007 |
झारखण्ड |
14 |
सांसद |
26,945,829 |
नागालैंड |
1 |
सांसद |
1,990,036 |
उड़ीसा |
21 |
सांसद |
36,804,660 |
पंजाब |
13 |
सांसद |
24,358,999 |
राजस्थान |
25 |
सांसद |
56,507,188 |
सिक्किम |
1 |
सांसद |
540,851 |
तमिल |
39 |
सांसद |
62,405,679 |
त्रिपुरा |
2 |
सांसद |
3,199,203 |
उतर प्रदेश |
80 |
सांसद |
166,197,921 |
पचिम बंगाल |
42 |
सांसद |
80,176,197 |
संघ सषित प्रदेश सेट
राज्य का नाम |
सीटो की संख्या |
पद का नाम |
जनसंख्या 2011 के अधर पर |
दिल्ली |
7 |
सांसद |
13,850,507 |
दमन दीप |
1 |
सांसद |
158,204 |
अंडमान निकोबार दीप समूह |
1 |
सांसद |
356,152 |
चंडीगढ़ |
1 |
सांसद |
900,653 |
दादर नगर गृह |
1 |
सांसद |
220,490 |
लक्ष्य दीप |
1 |
सांसद |
60,650 |
पांडीचेरी |
1 |
सांसद |
974,345 |
|
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|
ससंद की शक्तिया (संसद की शक्ति)
1 विधायी शक्तियां : संद मूलतया एक विधायी संस्था है , वह सभी प्रकार के कानून का निर्माण करती है , पुराने वह गैर जरूरी कानूनों को रद्द करती है , और बदली हुयी परिस्तिथियो ( क) वे नए नए कानून बनाती है | उसे इन विषयो पर कानून बनाने की शक्ति प्राप्त है :
(ख) वे विषय जो संघ सूचि में दिए गए सभी हैं |
(ग) वे विषय जो समवर्ती सूचि में दिया गया है |
कुछ विशेष नियमों में, जैसे अनादरपूर्ण समय में, वह उन विषयों पर भी कानून बना सकता है जो राज्य सूचि में शामिल हैं |
संसद जब बनती है तो उसे राष्ट्रपति की अनुमति के लिए भेजा जाता है | राष्ट्रपति को यह अधिकार होता है कि वह उन्हें अपनी स्वीकृति दे या न दे यह अधिकार उनके पास होता है यदि वह चाहे तो किसी भी सीमा को वापस पुनविचार के लिए लौटा सकते हैं | अगर संसद उसे याद दिलाती है कि दो राष्ट्रपति उस पर हस्ताक्षर करना ही होता है |
2 वित्तीय शक्तियाँ : संसद की अनुमति के बिना कोई नया कर दिया जा सकता है और न ही कोई धन खर्च किया जा सकता है | शासन के सभी विभागों के खर्चे का बजट संसद के सामने रखा जाता है इसी के साथ इस बात का निर्णय भी संसद ही करती है कि पहली कान्हा से और किस प्रकार प्राप्त होगी |
सबसे अहम बात यह है कि विट के क्षेत्र में जो भी शक्तियाँ भारतीय ससुर को प्राप्त होती हैं, वे वास्तव में संसद में ही शक्तियाँ होती हैं, बजट और टैक्स सम्बन्धी प्रस्ताव केवल छः माह में पेश किया जा सकता है, राज्य सभा में नहीं |
3 अधीनस्थ या कार्यकारी शक्तियाँ : संसदीय शासन प्रणाली में संसद का तीसरा अहम् कार्य प्रशासन तथा कार्यपालिका पर नियंत्रण होता है | क्योंकि सविधान में कहा गया है कि मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से लोक सभा के प्रति उत्तरदायी होगा
4 सविधान सशोधन शक्तिया : संसोधन से संबंधित कोई भी कानून संसद की किसी भी सदन में पेश किया जा सकता है | आम तौर पर किसी भी प्रस्ताव के पास होने के लिए दोनों सदनों के दो तिहाई बहुमत की सड़कें होती हैं लेकिन कुछ प्रस्ताव ऐसे भी हैं जिनमे दोनों सदनों के दो बहुसंख्यकों के अलावा कम से कम कुछ राज्यों के विधान मंडलों को भी आवशयक होने की अनुमति है | ऐसी विषय वो है जो अधिकारों से संबंधित है , संसद में राज्यों द्वारा दी गई सीटों और केन्द्रों और राज्यों के बीच शक्तियों का बटवारा |
सविधान संशोधन के सम्बन्ध में अहम् बात है यह है कि संशोधन की शक्तियाँ नहीं हैं, केसव नन्द भारती( 1973 ) और मिनर्वा मिल्स नामक (1980) मुकदमो में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है, कि सविधान के दृष्टिकोण योजनाओं को नष्ट करने का अधिकार संसद का पास नहीं है |
1971 के 42 संशोधन अधिनियम के अनुसार जब कोई संशोधन राष्ट्रपति के रूप में पेश किया जाएगा तो राष्ट्रपति को उसकी अनुमति देना ही वह इसके लिए मना नहीं कर सकता है |
5 जनता की संभावनाओं को सरकार तक पहुचाना : संसद एक ऐसा मंच है जन जन प्रतिनिध जनता की आवाज को जगमगा सकती है और जनता से लोगो को अपनी चाहो को प्रकाश में लाया जाता है, वन्हा पर कही गई बात सरकार का ध्यान आकर्षित करती है करती है |
6 अन्य कार्य व शक्तिया : इन सभी कामो के आलावा संसद और भी कई अन्य काम करती है जैसे :
(क) संसद सदस्य राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति के चुनाव में अधिकार देने के अधिकारी हैं
(ख) संसद में महाभियोग का कार्य संसद में चल सकता है |
(ग) संसद के दोनों सदन एक प्रस्ताव पारित करके राष्ट्रपति से निवेदन कर सकते हैं कि उच्चाधिकारी न्यायलय या उच्च न्यायालय के न्यायधिशो को उनके पद से अलग किया जा सकता है |
सदस्यों की विशेषाधिकार : सांसदों की विशेषाधिकार के संबध में अनुछेद 105
में यह कहा गया है कि (क) सदस्यों को सदन में भाषण की पूर्ण स्वतंत्रता होगी |
(ख ) सदन में दिए गए किसी भाषण या मत के लिए किसी सदस्य पर किसी भी न्यायलय में कोई भी कार्यवाही नहीं होगी |
(जी) सदस्यों की विशेषाधिकार जब तक कि पूर्व के रूप में अनुच्छेद के अनुसार नहीं हो जाता तब तक उन्हें वे सभी अधिकार प्राप्त हो जाते हैं जो इंग्लैंड के सामान्य सभा के सदस्यों को प्राप्त होते हैं |
वेतन व अन्य : संसद सदस्य जितना वेतन व पेंशन प्राप्त करते हैं, जो संसद द्वारा नियुक्त किया जाता है अगस्त 1998 में पास के अनुसार संसद सदस्यों की प्रतिमा 4000
रुपये वेतन और ववेशन के दिनों में 400
रुपये, दैनिक बोचका अधिमान प्राप्त करता है | भूतपूर्व संसद सदस्यों को जो कम से कम चार साल तक सेवा की हो उन्हें 2500
रुपये दिए जाते हैं | हर सांसद को चुनाव क्षेत्र बोका और चिकित्सा भत्ता, और आवास सुविधाये भी उपलब्ध है |
वर्तमान यानी 2022 में एक सांसद का वेतन कुछ इस प्रकार है , सासंद को एक पेंशन के आलावा एक लाख 51 हजार 833 रुपये प्रतिमाह यानी 18 लाख 22 हजार रुपये वोटर बोनस दिया जाता है, फिक्स पेंशन और भत्तो को जोड़ा जाता है तो एक सांसद एक महीने में 2,91,833 रुपये वेतन पाटा है , साल का 35
लाख रुपये है |
क्या आप भारतीय उच्च सदन के बारे में आसान है अगर नहीं तो यह लेख आपके लिए है यदि आप भारतीय राजनीती में दिलचस्पी रखते हैं तो आपके लिए हमारा यह लेख सहायक होगा।