क्या आप जानते है खुसरो बाग(khusaro baag)को?
खुसरो बाग प्रयागराज 2023. |
यह खुबसूरत सा मकबरा जिसे आप इस तस्वीर में देख रहे है , यह खुशरो बाग के नाम से जाना जाता है, जो आज प्रयागराज में स्तिथ है जिसे पहले इलाहाबाद के नाम से जाना जाता था। यह मकबरा प्रयागराज ले खुल्दाबाद मोहल्ले में मौजूद है।मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ के शासन काल से पहले प्रयागराज इलाहाबाद के नाम से ही जाना जाता था । इलाहाबाद के इस खूबसूरत से बाग में खुसरो ,उसकी बहन, और उसकी राजपूत मां का मकबरा स्तिथ है। खुसरो जो मुगल बादशाह जहांगीर के बेटे थे। इलाहाबाद में मौजूद इस बाग का सम्बन्ध भारत के आजादी की लड़ाई से भी है जिसके पीछे एक विचलित कर देने वाली कहानी है।
प्रयागराज जंक्शन कितनी है दूरी?
यह मकबरा प्रयागराज जंक्शन स्टेशन से करीब एक किलोमीटर की दूरी पर और प्रयाग स्टेशन से 5 किलोमीटर की दूरी पर और रामबाग स्टेशन से 8 किलोमीटर की दूरी पर पड़ता है, और सिविल लाइन बस स्टैंड से लगभग 4 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
प्रयागराज शहर के पश्चिम छोर के प्रयागराज रेलवे स्टेशन के पास स्तिथ खुसरो बाग मुगलकालीन इतिहास की कहानी कहता है। यह बाग 17 बीघे के विशाल क्षेत्र में फैला हुआ है। इस बाग के चारो ओर मोटी मोटी लाल बलुआ के पत्थर से बनी दीवार है , जो ऐतिहासिक महत्व को लोगो के दिलो में जिंदा रखती है। इसके चारो ओर एक एक दरवाजा है। खुसरो का मकबरा सन 1622 में बना था।
कुछ इतिहासकार कहते है कि बादशशाह जांहगीर ने इसे अपना आरामगाह बनवाया था। बादशाह जहांगीर के पुत्र खुसरो के नाम पर ही इस बाग नाम खुसरो बाग रखा गया। इस बाग में तीन मकबरे है, पहला शहजादे खुसरो का, दूसरा मकबरा खुसरो की राजपूत मां शाह बेगम का बनाया गया था। और तीसरा मकबरा शहजादे खुसरो की बहन निथार बेगम का है , इन मकबरों की खूबसूरती और कारीगरी बस देखते ही बनती है। जब आप इसमें दाखिल होंगे तो आप इसके दरवाजों पर हजारों की संख्या में घोड़े की नाल गड़ी देखेंगे जो आपको हैरत में डाल देंगे। इलाहाबाद शहर के इस खूबसूरत बाग के अंदर का दृश्य और रंग बिरंग फूल और क्यारियां आपको अनायास अपने पास बुलाती है।
पर्यटन स्थल धरोहर के रूप में खुसरो बाग प्रयागराज की शान है। और जो लोग प्रयागराज में घूमने के लिए एक अच्छे स्थान की तलास कर रहे है और इलाहाबाद के ऐतिहासिक महत्व को तलास रहे है उनके लिए यह किसी खजाने से कम नहीं।
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