Who is Abdul Sattar edhi? 2024. कौन है अब्दुल सत्तार इदी?
क्या आप अब्दुल सत्तार इदी को जानते है? नही तो चलिए उनके बारे में जाने.
बहुत कम लोगो को इस शख्स के बारे में पता होगा या शायद न भी हो ? लेकिन आज हम अपने इस लेख में बात करने वाले है एक ऐसे शख्स की जो दुनिया का सबसे बड़ा निजी ambulance service provider थे । अब्दुल सत्तार इदी एक महान समाज सेवी थे। और उन्होंने समाज के लिए बेहद ही खूबसूरत काम किए। वो मानवतावादी एव इदी फाउंडेशन के अधक्ष्य थे । इदी फाऊंडेशन पाकिस्तान एव विश्व के अन्य देशों में कार्यकर्त है।
जो समाज कल्याण हित में इन सभी सेवाओं में काम करता है, ambulance service, educational services, children service,hospital services, orphans service, marriage beauro services, morgue services, rehabilitation centre, missing persons services इदी फाऊंडेशन इन सभी सेवाओं में काम करता है , जिसके चलते इदी फाउडेशन दुनिया भर में, अपनें काम के लिए सराहा जाता है। चलिए इन सभी सेवाओं को देने वाले इदी फाउंडेशन के अधक्ष्य मौलाना अब्दुल सत्तार इदी के बारे में जानकारी हासिल करते है कि कैसे एक इंसान ने इतना बड़ा सफर तय किया अपने जीवन में ।
अब्दुल सत्तार इदी का जन्म।
अब्दुल सत्तार इदी का जन्म सन 1928 में भारत के जूना गढ़ के पास बटवा गांव में हुआ । आजादी से पहले के भारत में जब भारत का बटवारा हुआ तो वह अपने परिवार संग पाकिस्तान के कराची में आकर आबाद हो गए। इदी के मन में मानव सेवा का ख्याल बचपन में ही उनके बीमार की सेवा करते करते अंकुरित हुआ। जब एधी 11 साल के थे तब उनकी मां लकवा से पीड़ित हो गई और बाद में वह मानसिक बिमारी से भी ग्रस्त हो गई । अब्दुल सत्तार ने अपनी मां की सेवा के लिए खुद को समर्पित कर दिया और उनको नहलाना, उनकी साफ सफाई करना , खाना खिलाना, वो अपनी मां की सेवा में कोई कसर नहीं छोड़ते लेकिन उन्हें इस लड़ाई में सफलता नहीं मिली । जब इदी 19 वे वर्ष में थे तब उनकी मां बीमारी से जंग हार गई । और उन्होंने ने खुद इस जंग में एक बेबस इंसान पाया ।
और इस लंबे संघर्ष ने उनके जीवन को बदल कर रख दिया । और उन्होंने समाज के उन लोगो के बारे में गहराई से चिंतन करना शुरू कर दिया । जो बिमारी और अमानवीय व्यवहार और इस मुसीबत के समय में उनका ख्याल कैसा रखा जा सकता है, जैसा उन्होंने अपने मां के लिए महसूस किया उनकी बिमारी में कैसे उन्होंने अकेले ही इन सब चीजों को झेला। उन्होंने इस सामाजिक भलाई के लिए काम करने की ठानी लेकिन उनके पास कोई साधन नहीं था, पर वह इस सामाजिक कार्य को करने का फैसला कर चुके थे। चाहे इस काम के लिए उन्हें लोगो से भीख ही क्यो न मांगनी पड़े।
1947 भारत पाक विभाजन हो गया ।
सन 1947 में अब्दुल सत्तार इदी पाकिस्तान चले आए। अब्दुल सत्तार ने अपनी जीविका कमाने के लिए शुरुआत एक फेरीवाली के रूप में की ,बाद में कराची शहर में कपड़ा बेचने वाले एक थोक व्यापारी एजेंट बन गए । कुछ समय बाद उन्होंने व्यापार छोड़कर ,अपने समुदाय के लोगो के साथ निशुल्क औषध्यालय खोलने का निर्णय किया । और इस कार्य में उन्हें सफलता मिली। औषध्यालय के बढ़ते काम को देख कर उनके मन में अपना खुद का ट्रस्ट स्थापति करने का निर्णय किया और उसका नाम एधी ट्रस्ट रखा । जनता से फंड की गुहार लगाई और जनता ने अच्छी प्रतिक्रिया दी और शुरुआती धन 2000000 लाख रुपए दान के रूप में प्राप्त किए।
इदी की शादी बिल्किस से 1965 में।
इदी धन जुटाने के कार्य से लेकर लाशों को नहलाने तक के काम में खुद शामिल रहते। चौबीस घंटे वह अपने साथ एक एंबुलेंस रखते थे । जिसे वह खुद ही चलते थे और शहर में गश्त करते रहते थे। रास्ते में कोई भी जरूरत मंद दिखने पर उसे गाड़ी में बिठाकर उसे साहायता केंद्र पहुंचाते जन्हा उनको प्राथमिक उपचार किया जाता और उनका ख्याल रखा जाता । इन सभी सामाजिक कार्यों करते हुए सन 1965 में एधी डिस्पेंसरी में काम करने वाली नर्स बिल्किस बानो से शादी कर ली । उनके चार बच्चे है दो बेटे और दो बेटियां। बिल्किस पाकिस्तान के कराची शहर में प्रस्तुति गृह चलाती है।
अपनी अपार ख्याती और बड़ी रकम की लेन देन के बाद भी एधि और उनका बेहद ही साधारण और संयमित जीवन के साथ गुजर बसर करते है। वह और उनका परिवार फाउंडेशन के मुख्यालय से सटे दो कमरे में रहते है। वह अपने काम के चलते ख्याती हासिल करते चले गए ,जिसके चलते उन्हें लोग उन्हें शादी और अन्य समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर बुलाने लगे । उन्होंने इस बात से डर लगने लगा कि कन्ही वह इन सबके चलते अभिमानी न हो जाए । वह इन सब चीजों से दूरी बनाते जिसके चलते लोग उन्हें घमंडी समझनें लगे।
लेकिन सन 1991 में लाहौर में एक पत्रकार को इंटरव्यू देते हुए लोगो से आग्रह किया वह उन्हें शादी समारोह या अन्य उदघाटन कार्यक्रम में बुलाया करें क्योंकि इसके चलते उनका समय जाया होता है। और उनके सामाजिक कार्य में बाधा उत्पन्न होती है। इदी एक अपनी खुली सोच और उदारवादी विचार धारा के चलते औरतों के काम काजी होने पर कोई आपत्ति व्यक्त नहीं करते बल्कि उनके इस कार्य के लिए उन्हें सराहते है। एधी फाऊंडेशन के 2000 वेतनभोगी कर्मचारियों में 500 महिलाएं है।
इदी ने अपने जीवन काल में लगभग 2000000 से अधिक लावारिश लाशों को दफनाया है। वर्तमान दुनिया में जन्हा लोग अधिक पूंजीवादी और स्वार्थ से लबरेज है और इंसान को इंसान तक समझना जरूरी नहीं समझते। उस दौर में अब्दुल सत्तार इदी का यह कार्य बहुत ही अधिक सरहनीय है।
इदी को कई अवॉर्ड से नवाजा गया है उनके इस काम के लिए।
1986 में रमन मैगेसस अवॉर्ड से पति और पत्नी दोनो को एक साथ नवाजा गया।
1988 में लेनिन शांति पुरस्कार ।
1992 में पाल हैरिस फैलो रोटरी इंटरनेशन फाउंडेशन अवार्ड।
2000 में अंतराष्ट्रिय बालजन अवॉर्ड ।
2005 में लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड।
गिनीज वर्ल्ड के अनुसार इदी के पास दुनिया की सबसे बड़ी निजी एंबुलेंस सेवा है।
इदी फाउंडेशन किन देशों में अपनी सेवाएं दे रहा है ?
इदी फाउंडेशन पाकिस्तान के ,पंजाब,सिंध,बलूचिस्तान, के पी की, आजाद जम्मू कश्मीर में संगठन केंद्रित है ।
अंतराष्ट्रिय कार्यालय।
USA कार्यालय
नेटवर्क
उत्तरी अमेरिका
यूनाइटेड किंगडम
यह सभी जानकारी इदी फाउडेशन की वेबसाइट और कुछ लेखों से जुटाई गई है. आप अगर ज्यादा जानकारी हासिल करना चाहते है इदी फाउंडेशन के बारे में तो आप दिए हुए लिंक पर क्लिक एधी फाउडेशन करके वेबसाइट पर विजिट कर सकते है।
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