"डर की रात ।"(Dar ki Raat.)
आप जब समय का हाथ पकड़ कर भूतकाल में जायेंगे तब राजधानी दिल्ली में बिजली उस तरह से नही चमकती थी, जिस तरह से आज दिल्ली के है सड़क पर रोशन है, पश्चिमी दिशा में एक छोटी सी कालोनी है ख्याला जो नजफगढ़ नाले से लगी हुई है, जो दिल्ली के बीचों बीच बहता हुआ यमुना में जा मिलता है, उसी नाले के साथ लग कर सड़क जाती है जो पहले कच्ची पक्की हुआ करती थी, और लाइट बत्ती कभी किसी एक आधे खंबे पर जगमगा जाती तो जगमजाती। उसी सड़क से लगकर एक गली जाती है जो केशवपुर सब्जी मंडी से लगभग एक से दो किलोमीटर की दूरी पर मौजूद होगी। रात तो रात दिन में भी इस समय गुप खामोशी हुआ करती थी , राह चलता कभी कोई दिन में एक आधा इंसान नजर आ जाता तो आ ही जाता लेकिन अब तो हर पहर आपको इंसानों की चहल कदमी और गाड़ी मोटरों की आवाज़ हर पल सुनाई ही दे जायेगी।
उन्ही दिनों मेरे जानकर झब्बू मियां वन्हा एक फैक्ट्री में काम किया करते थे। और मेरा उनसे अच्छा नाता था उनका परिवार मेरे पड़ोस में ही किराए पर रहा करता था । उनके दो बच्चे शारदा और निहाल जो मेरे घर अक्सर आया जाया करते थे ,क्योंकि मेरे घर उन दिनो लेडलाइन फोन हुआ करता था, जिस पर उनके घर ओर उनके रिश्तेदार का फोन आया ही करता था। उनके पास हीरो कंपनी की एक साइकिल थी जिस पर सवार होकर वो घर से कारखाना और कारखाना से घर आया जाया करते थे ,कभी कभार जब वह लेट लतीफ का शिकार हो जाते तब वह अक्सर मेरे घर अपनी कारखाने के फोन से फोन कर के अपने घर वालो को इतला दे दिया करते थे।
झब्बू मियां आदमी वैसे थे बड़े साहसी और कमाल के , 5 फुट 8 इंच लंबाई, चौड़ा सीना और गेहुआं रंग चेहरे पर हल्की दाढ़ी, और मूछ, और बदन पर सफेद कुर्ता और पैजामा, वो अपने दीन के भी बड़े पक्के थे, वो अपने काम को लेकर भी बड़े ही उत्सुक और जिज्ञासु रहते है। और साहसी तो ऐसे की भूत और जिन्न से भी कह दो लड़ पड़े, लेकिन एक दिन वह किसी ऐसे प्रेत से टकरा गए कि उनका सब कुछ बिखर गया , घर रोजगार और बच्चे सब , यह हादसा उनके साथ तब पेश आया जब वह अपने कारखाने के काम से फारिग होकर , रात 10 बजे नाले से लगी सड़क को पकड़ कर नॉर्थ दिल्ली को साउथ दिल्ली से जोड़ने वाली सड़क की ओर आ रहे थे। हालांकि वह अक्सर उसी रास्ते आया और जाया करते थे। नाला होने के साथ साथ वह रास्ता रात को सुन सान हो जाया करता था, और उस रास्ते पर अक्सर हादसे हुआ ही करते थे।
उस रात झब्बू मियां जब रात 10 बजे अपने काम से फारिग होकर , वन्ही के रहने वाले राकेश जो वन्ही कहीं कुछ दूरी पर किसी गली में किराए के घर में रहा करता था । उसने कहा अरे झब्बू भाई आप किधर से जाओगे तो झब्बू भाई ने कहा केशवपुर सब्जी मंडी वाले रास्ते से, तो उसने कहा अरे भाई मुझे आज इसी नाले वाले रास्ते से चलते मुझे आगे छोड़ देते अपनी साइकिल से ,अंधेरा थोड़ा ज्यादा है और आप जानते है कि रास्ता अकेले इंसान के हिसाब से सही नही , झब्बू मियां ने कहा क्यों नहीं अरे मर्द आदमी होकर अंधेरे से क्या डरना ? बैठो साइकिल पर झोड़ देंगे , उस रास्ते के आधे हिस्से वह आदमी उनके साथ बैठ कर आया जो उनके ही कारखाने में काम करता था और जब उसकी गली आई तो वह उतर गया , और उसने झब्बू मियां से कहां भी अब आगे इस रास्ते मत जाना रास्ता ठीक नही, आगे अंधेरा बहुत है, भूत पिचास की बाते लोग कहते रहते है यन्हा, झब्बू मियां को लगा की क्या अब उतनी दूर घूम कर जाऊं? यन्हा से थोड़ा पास पड़ जाएगा क्यों न? इसी रास्ते से चल दूं । वैसे भी रात बढ़ती जा रही और समय भी ज्यादा हो ही गया है,सर्दी का समय है, घर वाले भी इंतजार कर रहे होंगे,
बस यही सोच उनके लिए खतरा हो गई, उस शख्स ने जाते हुए फिर कहा इस रास्ते से नही जाना भले छोटा पड़े तो क्या ? थोड़ा घूम कर चले जाओ कुछ नही होता, झब्बू मिया कहा अरे कोई नही इतना डरपोक नही है हम, यह कह कर वो अपनी साइकिल पर सवार होकर आगे बढ़े, ठंड का समय था रात के सवा दस साढ़े दस बज रहे थे ,आगे रास्ता थोड़ा घुमाव दार था, जब वह घुमाव के पहले हिस्से पर पहुंचे तो, उनके सामने एक कुत्ता आगे आगे दौड़ा चला जा रहा था, और झब्बू मियां अपनी साइकिल की गति को थोड़ा तेज किए हुए रास्ते को जल्दी पार करने के फिराक में थे, क्योंकि अब उनके साथ कोई था, अंधेरा था ऊपर से जाड़े की रात सुनसान सड़क,और सड़क के साथ बहता नाला, कुत्ता अभी आगे आगे अपनी मध्यम गति से दौड़ा जा रहा था, और वह अपनी साइकिल की घंटी से उसे आगाह कर रहे थे, और बीच में एक दो बार आवाज लगा कर उसे डांट देते, लेकिन जब घुमाव का दूसरा हिस्सा आया तो कुता अचानक से भौंकने लगा , मानो उसने कुछ देख लिया हो और वह वही खड़ा हो गया और खड़ा होकर पेड़ की तरफ देख वह जोर जोर से भौंकने लगा, यह देख झब्बू मियां थोड़ा सकपकाए और वह भी अपनी साइकिल रोक उस तरफ देखने लगे लेकिन उन्हें अपनी आंखों से कुछ दिखाई नहीं दिया, लेकिन कुत्ते की आवाज और तेज हो गई ऐसा लगा की कोई उसकी तरफ आ रहा है, कुत्ता कुछ वक्त तो वही खड़े खड़े भौंक रहा था,लेकिन फिर कुछ छन बाद वह अपने कदम पीछे कर और तेजी से भौंकने लगा, झब्बू मियां ने अपने चारो तरफ घूम कर देखा साइकिल पर बैठे ही बैठे पर वह कुछ देख नही पाए, पर अब सर्द भरी रात में उनके माथे पर चिंता की लकीरें खींचने लगी, और वह अपने मन में खुदा का नाम जपने लगे, उन्होंने कुत्ते की तरफ देखा तो कुता अब भी सड़क से लगे उस पेड़ की तरफ देख लगातार भौंके ही जा रहा था, झब्बू मियां आगे देखा की कुछ ही दूर पर सड़क नजर आ रही है जो दूसरे घुमाव से करीब 800 मीटर की दूरी पर होगी,लेकिन झब्बू मियां कुछ ऐसा आभास हुआ की उनके शरीर के सारे रोंगटे खड़े हो गए, और जब वह अपनी साइकिल को आगे बढ़ाने के लिए पैडल मारने लगे तो उन्हें आभास हुआ की उनकी साइकिल पर कोई बैठा हुआ है, लेकिन जब झब्बू मियां ने पीछे पलट का देखा तो उन्हें कुछ दिखाई नहीं दिया,लेकिन अब वह कुत्ता झब्बू मियां की ओर देख कर भौंकने लगा, जो कुछ पल पहले सड़के के किनारे लगे पेड़ को देख कर भौंक रहा था।
जब झब्बू मियां ने साइकिल पर पैडल मारा और आगे चलने लगे, कुछ पल तो साइकिल थोड़ा सही चली , लेकिन फिर कुछ पल के बाद उन्हें साइकिल फिर भारी लगने लगी , लेकिन अब झब्बू मियां को बहुत बुरी बदबू की गंध आने लगी, जैसे जैसे वह अपनी साइकिल को आगे बढ़ा रहे थे, उन्हे वह गंध बढ़ती हुई महसूस हो रही थी, और वह कुत्ता जो पहले आगे आगे दौड़ रहा था, अब वह झब्बू मियां की साइकिल से कुछ दूरी पर नेक पीछे पीछे दौड़ रहा था और उनकी तरफ देख कर भौंक रहा था, जैसे ही झब्बू मियां को यह अहसास तो हो गया कि उनके साथ कुछ अजीब घट रहा है,लेकिन वह मन में हिम्मत बांध आगे बढ़ते रहे खुदा का नाम लेते हुए, जैसे ही दूसरा घुमाव खत्म होने वाला था, तभी उन्हें नाले के साथ लगी दीवार से आवाज आई अरे सुनो जरा ! झब्बू मियां ने जैसे ही उस आवाज की और अपना सर किया उनके होश फाख्ता हो गए, वह क्या देखते है,एक सर हवा में खड़ा है ठीक उतनी ही हाइट पर जितना की एक आदमी की हाइट होती है ,5 फूट 6 या 7 इंच और उसके चेहरे पर ढेरों हमले घाव है जैसे किसी ने उसे बहुत बुरी तरह से पत्थर से कूंचा दिया हो, यह देखकर उनकी घिग्घी बंध गई , और उसने कहा अरे भाई मेरा शरीर अपनी साइकिल पर किए लादे लिए जाते हो? यह सुनकर उनको कुछ पल के लिए लगा की शायद वह साइकिल पर नहीं किस हवा में लटक रहे हो। और वह जब अपने पीछे पलट कर देखते है तो सच में उनकी साइकिल पर एक धड़ बैठा है, जिसने मैले कुचले कपड़ा पहना हुआ, जो खून से लथपथ है, और बिना सर के है, लेकिन जब उन्होंने दोबारा सर की तरफ देखा तो वह गायब था, और अब जब उन्होंने ने दोबारा अपने साइकिल पर पीछे की तरफ मुड़कर देखा तो क्या देखते है की वह सर अब उस शरीर पर लगा हुआ है,यह देख वो चीख मार कर बीहोश हो कर अपनी साइकिल सहित उस सड़क पर ही गिर पड़े,
इधर जब उनके घर वाले इंतजार करते करते जब थक गए तब उन्होंने हमारे घर का दरवाजा खटखटाया । मैं दरवाजे पर गया मैने दरवाजा खोले बिना ही पूछा कौन ? उधर से आवाज आई भैया जी हम झब्बू जी की घरवाली मैने दीवाल पर लगी खड़ी की तरफ देखा तो , रात के साढ़े 11 बज रहे थे, मैने दरवाजा खोला तो देखता हूं वह अपने दोनो बच्चो के साथ दरवाजे पर खड़ी थी , पूछा क्या बात हो गई? तब उन लोगों ने बताया की झब्बू मियां अभी तक घर नहीं आए, यह सोच कर मन घबरा रहा है, यह सुनकर मैं भी चौक गया, तब मैंने और मेरे साथ गली दो लोगों ने झब्बू मियां को देखने के लिए गाड़ी उठाई और उन्हें तलासने निकल पड़े, और जब हम उनके करखाने की ओर जाने वाले सड़क की मुड़े और और पहले ही मोड़ पर किसी को साइकिल के साथ गिरे हुए जमीन पर देखा तो एकदम हम भी डर गए, लेकिन हम तीन लोग थे ,तो हमने पहले एक दूसरे को देखा फिर जमीन पर गिर उस शख्स की तरफ देखा ,जिसे देखकर हम भी डर गए थे तभी मेरे साथ सोनू थोड़ा हिम्मत दिखाते हुए अपने स्कूटर की हैडलाइट से उसके चहरे की तरफ मारा तो हम सबने चेहरा देखते ही पहचान लिया अरे ये तो झब्बू मियां ही है,हमे लगा कन्ही किसी ने इनपर हमला वमला तो नही किया इस लिए दूर से ही खड़े झब्बू झब्बू कहकर चार पांच आवाज दी लेकिन उस शरीर ने कोई हरकत नहीं की तब हमने अपनी गाड़ी आगे बढ़ाई और उसके पास जाकर गाड़ी रोकी हम डंडा साथ लेकर गए थे तो पहले हमने डंडे से ही एक दो बार झब्बू मियां को हिलाया लेकिन उन्होंने ने कोई जवाब नही दिया , तब सोनू ने कहा लगता भैया कुछ हो तो नही गया इन्हें ? तब नरेश ने हिम्मत दिखाते हुए झब्बू मिया की पल्स चेक की तो पता चला पल्स चल रही है, हमने पुलिस को फोन किया , पुलिस आई उसने झब्बू मियां को अपने हिरासत में लिया और उन्हें पास के हॉस्पिटल में एडमिट करवा कर हमसे बोली तुम में से जो इनके रिश्तेदार हो वो रात हॉस्पिटल में ही रुक जाओ । तब मैंने हॉस्पिटल में रुक गया और नरेश और सोनू मैने घर जाने के लिए कह दिया और बोला उनकी घरवाली को बता दे और सुबह हॉस्पिटल लेकर आ जाना, मैं पूरी रात हॉस्पिटल में झब्बू मियां के सिरहाने बैठा रहा लेकिन झब्बू मियां ने आंख नही खोली, जब सुबह उनकी घरवाली की सुनो हॉस्पिटल लेकर आया तो वह परेशान होकर रोने लगी , तब डॉक्टर ने बताया की अभी बेहोश है जब होश आएगा तब हम कुछ बता पाएंगे कि क्या हुआ है? और उन्हे दो दिन बाद होश आया , और वह हॉस्पिटल में एक दिन रहे और उन्होंने हम सब की मौजूदगी में उस रात का हादसा पुलिस वालो को अपने बयान में बताया, जिस हादसे को सुनकर हम सब दंग रह गए और पुलिस वाले भी बड़े हैरान और परेशान नजर आए, जिस दिन उन्हें होश आया उस पूरे दिन वो थोड़ा नॉर्मल बर्ताव कर रहे थे , लेकिन शाम सात बजे के बाद से उनके बरताव में बदलाव होने लगा, वह अब हर किसी आहत और आवाज पर डरने लगे, डॉक्टरों ने बहुत कोशिश की वह उन्हें ठीक कर सके , लेकिन वह नाकाम रहे , तब उन्होंने ने उन्हें पागल खाने में भेज दिया, और कुछ महीने वह वन्हा रहे, लेकिन एक रात डॉक्टर बताते है वह किसी परछाई का पीछा करते करते हॉस्पिटल को छत पर गए और वन्हा से कूद गए, जिसके चलते वह अब इस दुनिया में नहीं रहे, और उनका परिवार अब पूरी तरह से बिखर गया।
गली वाले कहते है कि वह कभी कभी झब्बू मियां की परछाई जैसा कुछ देखते अक्सर रात में जब कभी उनकी आंख खुलती है गहरी रात में।