भारतीय अर्थव्यवस्था दे रही है खुशखबरी |
दुनिया कि
अर्थव्यवस्था पर नज़र रखने वाली एजेंसी अंतराष्टीय मुद्राकोष के आंकलन के अनुसार ,
भारत 2025 तक दुनिया की चौथी
सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था तथा 2027 तक 5400 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था के साथ दुनिया की तीसरे पायदान के इकॉनमी होगा|
वाकई यह हर भारतीय के लिए ख़ुशी की खबर है|
जाने आर.बी.आई. क्या कहता है?
साथ ही RBI की जनवरी बुलेटिन में प्रकाशित “अर्थव्यवस्था की स्तिथि” शीर्षक से जारी लेख में कहा गया है कि हाल के जो
आंकडे है, वह बताते है कि मौद्रिक निति का मुद्रास्फीति को संतोषजनक दायरे में
लाने का जो पहला लक्ष्य था , उसे हासिल कर लिया गया है | यह पहली उपलब्धि रही|
आर .बी .आई. के
डिप्टी गवर्नर माईकल देवब्रत पात्रा की अगुवाई वाली टीम के इस लेख में कहा गया है
की 2023 में लक्ष्य मुद्रास्फीति को काबू में लाना है ताकि 2024 तक यह लक्ष्य के अनुसार रहे और यह दूसरी उपलब्धि होगी |
इसमें बताया गया की
मौजूदा मूल्य और विनिमय दरो पर देश की अर्थव्यवस्था 2023 मे 3,700 अरब डॉलर की होगी| साथ ही यह दुनिया कि पांचवी बड़ी अर्थवयवस्था
के रूप में ब्रिटेन से बढ़त बनाये रखेगा|
साथ ही केन्द्रीय
बैंक ने यह साफ तौर पर कहा है लेख में जो विचार है,वे लेखको के है और वह आरबीआई के
विचारो का प्रतिनिधित्व नहीं करता | लेख में कहा गया है जो आकडे है, उससे पता चलता
है कि वृहत अर्थिक स्थिरता सुदृढ़ हुईं है|
इसके अनुसार केंद्र
राज्य स्तर पर राजकोषीय मजबूती जारी है| साथ ही प्रमुख संकेतको के आधार पर चालू
खाते का घाटा 2022 की बची अवधि और 2023 में कम होने की ओर बढ़ रहा है|
इस खबर को लेकर देश
के समाचारपत्र बड़े ही उत्साह के साथ अपने अपने पन्नो और डिजिटल प्लातेफ़ोर्म पर जगह
दे रहे है|
जागरण में छपे लेख की माने तो अक्टूबर में भारत का निर्यात 17% घटकर 29.78 अरब डॉलर रह गया है| अक्टूबर 2021 में 54.64 बिलियन डॉलर के मुकाबले अक्टूबर 2022 में आयात 56.69 बिलियन डॉलर का हो गया| इस आकंडे की माने तो भी कोई ज्यादा ख़ुशी बात नहीं लेकिन दुनिया की अर्थवव्स्था को प्रभावित करने वाले कुछ कारण रूस उक्रेन युद्ध और कोरोना महामारी रहे है जिसके चलते दुनिया की तमाम बड़ी अर्थव्यवस्थाओ के कदम लड़खड़ाने लगे है| जैसा की हम सभी जानते है किइकाई कोरोना के चलते चीन की उत्पादन इकाइयाँ प्रभावित हुई है और हम इस बात से इंकार नहीं कर सकते कि चीन उत्पादन न होने से किस तरह दुनिया की मांग और सप्लाई प्रभावित हुई है, जिसके चलते भारत की उत्पादन इकाइयो फायदा जरुर हुआ है लेकिन वह इतनी उत्पादन करने की स्तिथि में है ,यह एक विचारशील बात है| अजहर की कलम से.....