कौन है सैयद आबिद हुसैन? Kaun hai saiyad aabid Husain? Kya yogdaan hai unka urdu me? जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी की स्थापना में उनका क्या योगदान है?
इस लेख में
इन सभी सवालो का जवाब शामिल है|
मुझे इस बात
का इल्म है कि बहुत कम लोग इस नाम से रुँबरू हुए होंगे, खैर कोई बात नहीं मै आपको
उर्दू और इंग्लिश के इस अज़ीम लेखक से इस अर्टिकल के ज़रिये करवा रहा हु, उर्दू भाषा
में अपनी रुची रखने वाले यह अज़ीम लेखक ने उर्दू को जिंदा रखने और उसे सजाने और
सवारने में खूब मेहनत की है| और अपनी इस मेहनत का इनाम उन्हें सन 1957 में “पदम् भूषण” पुरस्कार से
नवाजा गया |
सैयद आबिद
हुसैन का जन्मभोपाल के एक संपन्न परिवार में सन 1869 को हुआ| उर्दू और इंग्लिश दोनों ही भाषा दोनों में ही अपनी
भूमिका खूब अदा की | आबिद हुसैन ने इलाहबाद और अलीगढ विश्वविद्यालयो में पढाई की
और उच्च शिक्षा के लिए ऑक्सफ़ोर्ड गये| वहा कुछ समय बिताने के बाद वह जर्मनी चले
गये,जहाँ उन्होने बर्लिन विश्वविद्यालय से डी. फिल. की उपाधी प्राप्त की| जर्मनी
में ही उनकी मुलाक़ात डॉ. ज़ाकिर हुसैन और मुहम्मद मुजीब से हुई| और इन तीनो ने
मिलकर महात्मा गाँधी के महान मित्र और भारतीय मुसलमानों के राष्टीय नेता हकीम अजमल
खान से आशनाई की और बाद जाकर इन तीनो लोगो ने जामिया मिल्लिया इस्लामियाँ
विश्वविद्यालय का गठन किया जोकि दिल्ली में है|
दुनिया की सबसे मीठी जुबान उर्दू भाषा
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जब वह अपनी
पढाई पूरी करके भारत वापस आए तो वे दर्शन और उर्दू साहित प्रोफेसर के पद पर
नियुक्त हुए| और कम वेतन पर जामिया की सेवा के लिए अपना जीवन तमाम कर दिया|
उनके जीवन के
प्रारंभिक अनुवाद|
गोथे का
फॉस्ट, जार्ज बर्नाड शा का सेंट् जौनसिलेक्टेड डॉयलोग्स ऑफ प्लेटो, कांट का
क्रिटिक ऑफ प्योर रीजन और डी बोर की हिस्ट्री ऑफ फिलोस्फी इन इस्लाम आबिद हुसैन के
आरंभिक अनुवादों में से है| इसी सिम्त में आगे बढ़ते हुए उन्होने गाँधी औरं नेहरू
कि लेखो का अनुवाद किया | जिन्हें तत्काल सफलता हासिल हुई, और जिसकी बदौलत उन्हें
उर्दू के महान लेखको के बीच ख्याती मिली|
सैयद आबिद
हुसैन ने अपनी किताब “कौमी तहजीब का मसअला” के तीन भागो पर इक दशक तक काम किया| जिसके दूसरे
और संक्षिप्त भाग पर उन्हें साहित्य अकादमी पुरष्कार से सन 1956 में नवाजा गया|