Bangladesh five times prime minister Sheikh Hasina 2024. (बांग्ला देश में पांचवी बार प्रधान मंत्री बनने जा रही शेख हसीना।)2024.
12 जनवरी 2024 तक दुनिया की सबसे लंबी समय तक सेवा करने वाली महिला सरकार प्रमुख है। शेख हसीना लगातार बांग्लादेश के प्रधानमंत्री पद पर चौथी बार काबिज होने जा रही है। 7 जनवरी में आम चुनाव में शेख हसीना की पार्टी आवामी लीग ने 300 में से 204 सीटे जीत ली। इस बार 299 सीटो पर वोटिंग हुई थी।
हसीना ने लागतार 8वी बार चुनाव जीता । गोपालगंज 3 सीट से उन्होंने ने बांग्लादेश सुप्रिमो पार्टी के उम्मीदवार एम. निजामुद्दीन लश्कर को 2.49 लाख वोटो के अंतर से हराया। शेख हसीना सन 1986 में पहली बार चुनाव जीती थी।
भारत के पड़ोसी देश, बांग्ला देश में लोकतंत्र की स्तिथि कुछ और मजबूत होती दिखी । बांग्ला देश की मुस्लिम महिला प्रधानमंत्री शेख़ हसीना ने पांचवी बार प्रधान मंत्री बनकर इतिहास रच दिया । उनके लिए यह रास्ता इतना आसान नहीं था जितना हम इसे पढ़ व सुन पा रहे है। बांग्ला देश के पहले राष्ट्रपति मुजीबुर रहमान की पुत्री शेख हसीना ने अपने पूरे परिवार को खोकर यन्हा तक सफर किया बांग्ला देश के समृद्धि के लिए ।
राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की पांच औलादो में से सबसे बड़ी औलाद शेख हसीना का जन्म 28 सितंबर 1947 में गोपालगंज जिले के टूंगीपारा में हुआ था। राष्ट्रपिता बंगबंधु अपने परिवार के सदस्यो के साथ 15 अगस्त सन 1975 को दुर्भाग्य रूप से शहिद हो गए थे। शेख हसीना और उनकी बहन शेख रेहाना ही जीवित बच पाई क्योंकि वह उन दिनो बांग्लादेश से हजारों किलोमीटर दूर पश्चिमी जर्मनी में थी।
क्या कहता है इतिहास ? कैसे बना बांग्ला देश?
बांग्लादेश कपड़ा उद्योग वैसे तो इन दिनों पश्चिम फैशन उद्योग में सबसे अधिक मांग में है। लेकिन भारत का पड़ोसी मुल्क बांग्ला देश जब सन 16 दिसंबर 1971 में अपने अस्तित्व में आया । यानी की पाकिस्तान से अलग होकर जब एक नया देश बना जिसके पहले नेता शेख मुजीबुर रहमान थे। लेकिन कुछ सालो बाद सूखे से पीड़ित बंगलदेश और कमयूनिस्ट आंदोलन ने उनकी सरकार का तख्ता पलट कर दिया और शेख मुजीबुर रहमान सहित उनके परिवार के सदस्यो की हत्या कर दी गई सन 1975 में।
इतिहास कर कहते है अगले लगभग 15 सालों तक बंगला देश सैनिक तानाशाही के गिरफ्त में रहा । और सन 1990 में बांग्लादेश में लोकतंत्र बहाल हुआ । जिसका श्रेय बंगला देश की दो महिलाओं को जाता है । पहली खालिदा जिया जो पूर्व सैन्य शासक जियाउर रहमान की बेगम थी । और दूसरी थी शेख मुजीबुर रहमान की बेटी शेख हसीना।
शेख हसीना की बांग्लादेश में वापसी सन 1981.
अपने परिवार की हत्या के बाद कई सालो तक विदेश में ही रही । लेकिन सैन्य शासन के दौरान ही सन 1981 में आवामी लीग की सर्वेसर्वा चुन ली जाने पर वह बांग्ला देश आ गयी। और आवामी लीग का नेतृत्व संभाला लिया।
जब सन 1991 में बांग्ला देश में लोकतंत्र बहाल हुआ तो चुनाव में जीत का सेहरा खालिदा जिया के सर बंधा। और विपक्ष में शेख हसीना रही ।
लेकिन बहुत जल्द ही शेख हसीना ने अपनी हार को जीत में बदल लिया। विपक्षी नेता के रूप में शेख हसीना ने खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनल पार्टी के खिलाफ कई गंभीर आरोप लगाए । जिनमे चुनाव को बेमानी का आरोप लगाया और संसद का बहिष्कार किया जिसके चलते बांग्लादेश में हिंसक आंदोलन और राजनीतिक उथल पुथल हुई।
जिया ने अपने कार्यवाहक पद से इस्तीफा दे दिया। जिसके बाद जून सन 1996 के चुनाव के बाद शेख हसीना बंगाल देश की प्रधान मंत्री बनी। उनके कार्यकाल में देश ने आर्थिक विकास और गरीबी में कमी का अनुभव करना शुरू कर दिया था। यह उनके पहले कार्यकाल के दौरान राजनीतिक उथल पुथल में रहा, जो जुलाई 2001 में जिया से चुनावी हार के बाद समाप्त हो गया। स्वतंत्र देश बनने के बाद यह पहले किसी प्रधान मंत्री का पहला पांच साल पूर्ण करने का कार्यकाल रहा ।
नजर बंद शेख हसीना 2006,2008.
2006 से 2008 के राजनीतिक संकट के दौरान शेख हसीना को जबरन वसूली के आरोप में हिरासत में लिया गया था। जेल से रिहा होने के बाद 2008 के चुनाव में भाग लिया और चुनाव भी जीता। 2014 में वह एक बार फिर तीसरे कार्यकाल के लिए फिर चुनी गईं। जिसका बीएनपी ने बहिष्कार किया था। और अंतर राष्ट्रीय पर्वक्षको ने इसकी आलोचना की थी ।
2017 में रोहंगिया शरणार्थीयो की सहायता ने बढ़ाया मान।
2017 में म्यांमार में नरसंहार से भागकर बांग्ला देश आए लगभग दस लाख रोहंगिय शरणार्थीयो को देश में शरण और सहायता देने के लिए श्रेय और परशंसा मिली। शेख हसीना ने 2018 के चुनाव के बाद अपने चौथे कार्यकाल जीता जो हिंसा भरा था ,और धांधली के रूप में व्यापक रूप से आलोचना की गई थी।
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