कन्तिश शरीफ दरगाह मिर्ज़ापुर |
उत्तर प्रदेश के
चर्चित जिलो में शामिल और गंगा नदी के किनारे बसा शहर मिर्ज़ापुर अपने आप में काफी
चर्चित शहर है , लेकिन यह शहर आज भी अपनी पुरातन संस्कृत को सजोये आधुनिकता कि और कदम
बढ़ा रहा है प्राक्रतिक सौन्दर्य और विन्ध्य पर्वत की गोद में इठलाता यह शहर अपने
पुराने कारोबार कालीन के लिए जाना जाता है| जिसके हर घर में उन और धागा कटाई से
बुनाई और रंगाई का रोजगार हर घर तक था , लेकिन आधुनिकता कि चका चौंध में यह शहर
अपने पारंपरिक व्यापार ओर विरासत दोनों को संजोए विकास कि और अग्रसर है , लेकिन हम
इस संगम के साथ ही आज इस शहर कि गोद में रहे सूफी हजरत ख्वाजा इस्माइल चिस्ती के
बारे में बात करने वाले है |
यंहा के रहने वाले
लोग यह बताते है कि ख्वाजा इस्माइल चिस्ती , अजमेर वाले ख्वाजा गरीब नवाज के भांजे
है जिन्हें मिर्ज़ापुर के लोगो ने एक और नाम से नवाजा है कन्तिश शरीफ | और लोग यह भी राय रखते है कि जो लोग हजरत
ख्वाजा गरीब नवाज कि बारगाह में अपनी हाजरी नही लगा सकते वह ख्वाजा इस्माइल चिस्ती
कि बारगाह में अपनी हाजरी लगा कर उनके
बारगाह में अपनी दरख्वास्त भेज सकते है | और उनको उनके परेशानी का हल जरुर मिल
जायेगा |
Entery gate |
ख्वाजा इस्माइल चिश्ती
जिन्हें लोग कन्तिश शरीफ भी कहते है |
भारत हमेशा से सूफी
संतो कि धरती रही है , और भारत में एक से एक पहुंचे हुए सूफी संत हुए है , जैसे
दिल्ली में निजामुद्दीन औलिया ,दिल्ली के महरौली में बख्तियार काकी और अजमेर के
ख्वाजा गरीब नवाज उन्ही के भांजे खवाजा हजरत इस्माइल चिस्ती है जिनकी मजार मुबारक उत्तर प्रदेश के मिर्ज़ापुर जिले में गंगा
नदी के किनारे स्तिथ है जो विंध्याचल रेलवे स्टेशन से करीब 2 किलोमीटर की दूरी पर
मौजूद है |
आप विंध्याचल धाम से
भी भली भांति परिचित होंगे जो हिन्दू धर्म के अनुसार नौ देवी शक्ति पीठो में से एक
है , जो भारत में विख्यात है , दोनों धार्मिक स्थलों कि दूरी आपस में 800 से 900
मीटर की दूरी पर होगी लगभग |
कंतिश शरीफ में हर
साल ख्वाजा इस्माइल चिस्ती का सालाना उरूस का होता है जिसको यंहा के लोग और
स्थानीय प्रशासन खूब शांति और सदभाव के साथ शुरू करवाता है जिसमें शामिल होने के
लिए मिर्ज़ापुर के आस पास के जिले से लोग शामिल होने आते है | इलाहबाद ,
बनारस,भदोही, चोपन , चुनार, सोनभद्र से लोग यंहा उरूस में शामिल होने के लिए आते
है | लोगो अपनी अपनी परेशानी ख्वाजा इस्माइल चिस्ती की बारगाह में रखते है ,
मुरादे मांगते है , चादर चढाते है , और हजरते ख्वाजा इस्माइल चिस्ती के इस तीन दिन
चलने वाले उरूस कि हो सबसे खास बात है वह यह है कि, इनकी माजर पर जो सबसे पहले
चादर चढ़ाई जाती है वह एक हिन्दू परिवार
द्वारा चढ़ाई जाती है |
खास बात दरगाह कि
खाव्जा इस्माइल
चिस्ती कि दरगाह पर जो पहली चादर चढाई जाती है वह किसी मुसलमान द्वारा नही बल्कि
एक हिन्दू परिवार द्वारा चढाई जाती है | जिसके पीछे एक दिल चस्प कहानी है लगभग 40
से 50 साल से चादर चढाने का काम नगर कसर हट्टी मोहल्ला के निवासी जवाहर लाल कसेरा करने लगे तबसे उन्ही के परिवार
के सदस्य इस माजर पर चादर चढाने का काम कर
रहे है |
कंतिश शरीफ़ दरगाह। |
ख्वाजा इस्माइल
चिश्ती का जन्म|
ख्वाजा इस्माइल
चिस्ती अजमेर वाले ख्वाजे के सगे भांजे है. जिनका जन्म अरबी तारीख 13 सवानुल
मुआज्जम 579 हिजरी दिन सोमवार के दिन ईरान में हुआ | इनके वालिद हजरत सैयद इसहाक
कादरी बड़े पीर साहब शेख अब्दुल कादिर
जिलानी बगदादी के साहबजादे के मुरीद थे | और उन्ही से खिलाफत ही हासिल थी |
6 रज्जब 671हिजरी जुमे के दिन भोर में पर्दा फरमा गए | बाद
में लोगो ने यंहा इनकी माजर बना दी | लोग बताते है कि खवाजा इस्माइल चिस्ती कि
मजार पर पहली चादर हिन्दू परिवार द्वारा चढाने का सिलसिला देवी अख्तर के ज़माने में
शुरू हुआ था जो आज तक बदस्तूर जारी है |
रेल मार्ग आने के लिए सबसे अच्छा साधन है।
अगर आप यन्हा आना चाहते है तो आप दिल्ली हावड़ा आने वाली किसी भी ट्रेन में यन्हा आसानी से आ सकते है। सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन विंध्याचल और दूसरा नजदीकी स्टेशन मिर्जापुर है।
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FAQ
Q 1 ख्वाजा इस्माइल चिश्ती कौन ?
Ans ख्वाजा इस्माइल चिस्ती अजमेर वाले ख्वाजा गरीब नवाज़ के भांजे है।
Q 2 ख्वाजा इस्माइल चिश्ती जी के मजार को और किस नाम से जाना जाता है ?
Ans कतिस शरीफ मजार के नाम यह मजार विख्यात है।
Q 3 यह मजार भारत के किस राज्य के किस जिले में पड़ता है?
Ans यह मजार भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के मिर्जापुर जिले में पड़ता है।
Q 4 kantis मजार का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन कौन सा है ?
Ans kantish मजार शरीफ के सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन का नाम विंध्याचल रेलवे स्टेशन है।
Q 5 मिर्जापुर के आस पास के जिलों के क्या नाम है ?
Ans मिर्जापुर के आस पास के जिले है प्रयागराज , Varanasi, भादोंही