Prophet Mohammad साहब का जन्म और उनके Islamic kisse 2023
इतिहास की गोद में
बैठे सभी वो हस्तियाँ जिनको वर्तमान के सामाजिक प्राणी आज या तो भला बुरा कहते है
या फिर वाह वाह करते है| हम मे से अधिकतर लोग इतिहास को बहुत कम ही पढ़ते है और वो तो बस लोगो के मुह से आई बात को दोहराते
है और लोगो के मुह से आई बाते सही और गलत दोनों ही हो सकती है | और सरकार द्वारा
दी गई जानकारी तो राजनीतिक दृष्टिकोण से ही दी जाती है, तो आखिर इतिहास के साथ
न्याय कौन करेगा ? खैर छोडिये वर्तमान समय में भी इतिहास का ही बोलबाला है, ईतिहास
हमेशा वर्तमान को अपने होने का अहसास दिलाता है और दिलाता रहेगा|
इनदिनों मुसलमानों
का इतिहास भारत की वर्तमान सरकार नरेंद्र मोदी के शासन काल में बार बार भारतीय राजनीती में दोहराया जा रहा है
और लोग मुग़ल बादशाह और इस्लाम को 1400 साल पुराना बताकर खुद को सर्वश्रेष्ठ साबित
करने की कोशिश कर रहे है|यू तो दुनिया में एक लाख चौबीस हजार पैगम्बर तसरीफ लाए और
मोहम्मद साहब दुनिया के आखरी पैगम्बर है और अब दुनिया में पैगम्बर नहीं आयेंगे ऐसा
इस्लमा और कुरान का कहना है | दुनिया में जितने भी पैगम्बर आये उनका जिक्र किसी न
किसी आसमानी किताबो में जरुर मिलता है और
इस्लाम के अनुसार दुनिया में चार आसमानी किताब नाजिल हुई यानि के उतारी गई है |
जिनका नाम इंजील ,तौरात, जबूर और कुरान है|
दिल्ली का उर्दू बाजार किताबो का खज़ाना अब खाना की दुकानों में बदल रहा है।
जानें कुरान में किन औरतों से शादी करना गुनाह है।
कुरान में दुनिया
में तसरीफ लाए सभी पैगम्बरों और दुनिया के बनने से ख़त्म होने तक के सभी हैरानकुन
कर देने वाले वाक्यों का ज़िक्र शामिल है | दुनिया कैसे बनी ?कितने दिनों में बनी?
दुनिया में सबसे पहले आने पैदा किए जाने वाले इन्सान आदम को
किसने और क्यों बनाया और दुनिया में कितने मखलूक है? ऐसे तमाम सवाल इंसानी
जहन में पैदा होते है और अपनी मंजिल यानि के जवाब के तलास में एक जहन से दूसरे जहन
में सफ़र करते है और वह इतिहास से वर्तमान
में आ पहुंचे है और भविष्य में भी इन्सान इनके उत्तर तालस्ता फिरता रहेगा | कुरान में ज़िक्र है
उन तमाम नबियो का जो जमीन पर तसरीफ लाए फिर वह चाहे आदम हो , नूह हो, या हूद हो ? सालेह अस्सलाम हो ? याकूब अलैहिस्लाम
हो या फिर मूसा अलैहिस्सलाम हारून अलैहिस्सलाम या फिर शोएब अलाहिस्स्लम या फिर
चाहे हजरत अय्यूब या हजरत युनुस या फिर हजरत ईशा या फिर हजरत इब्राहीम या इस्माइल
और इसहाक अलैहिस्सलाम और फिर आखरी नबी मोहम्मद साहब इन सभी ने एक अल्लाह की बात की और खुदा एक है और उसकी इबादत
के लिए लोगो को बुलाया लेकिन लोग आज भी हैरान और परेशान है कि खुदा कौन है और
इंसानों की जमीं के अलग अलग तुकडे पर बसे लोग आज भी इस सवाल को लेकर परेशान है
जबकि मुसलमानों ने और मोहम्मद साहब के चाहने वालो ने यह मान लिया है की दुनिया में
एक ही खुदा है और वही इस दुनिया का खालिक और मालिक है | और कुरान इसकी तस्दीक करता
है |
आज मै अपने इस लेख में मोहम्मद के साहब के बारे
में बात करने वाला हु वैसे तो दुनिया में एक से एक बढकर लोगो ने मोहम्मद साहब की
तारीफ में कुछ न कुछ जरुर लिखा है और कुछ लोग उन्हें सिर्फ इतिहास में एक शासक या
फिर बादशाह के रूप में ही देखते है |
मोहम्मद साहब का
जन्म( prophet mohammad sahib birth
in arab)
जैसा की हम में से अधिकतर
लोगो को मालूम है की मोहम्मद साहब का जन्म 12 रबिअव्वल सोमवार के दिन 570 हिजरी को कुरैस के सरदार अब्दुल मुतलिब के दस बेटों में से उनके बीच के बेटे
अब्दुल्लाह के घर में पैदा हुए और उनकी वालिदा का नाम अमीना था| उनके दादा अब्दुल मुतलिब अल्लाह के घर काबा की खिदमत में थे और अरब में उनका
बड़ा ही नाम था | जब आपकी वालिदा हमिला हुई यानि के पेट से हुई तो आपके वालिद
अब्दुल्लाह का इंतकाल हो गया और मोहम्मद
साहब क इ सर से वालिद का साया हट गया|
मोहम्मद साहब का
शजरा मुबारक यानि के जन्मकुंडली
कुछ यूँ है मोहम्मद बिन अब्दुल्लाह बिन अब्दुल मुतलिब बिन हासिम,बिन अब्दे मुनाफ
बिन कुसई बिन किलाब ,बिन मुर्रा बिन काब , बिन लुइ बिन ग़ालिब ,बिन फहर बिन मालिक
,बिन नजर बिन कनान बिन खुजैमा बिन मद्रका ,बिन इलियास,बिन मुजेर ,बिन माद ,बिन
अदनान – अदनान का नसब हजरत इस्माइल बिन इब्राहीम पर ख़त्म होता है |
आपकी दूध माँ हलीमा|
उन दिनों अरब में
रिवायत थी की बच्चे को दूध पिलाने और पालने के लिए दूध पिलाने वली आया राखी जाती
थी |अरब में उन दिनों यह सूखे का जमाना था और कठिनाईयो के दिन थे और हलीमा किसी
ऐसे बच्चे की तलास में थी जिन्हें वह दूध पिलाकर अपने जीवन के दिन को गुजर सके और
उनको यह नसीब भी हुआ और मोहम्मद साहब को उन्होंने दूध पिलाकर पाला और पोशा उनके घर
में जितने भी दूध वाले जानवर थे उनमे खूब बरकत हुई और बूढी उटनी और गधी में और पूरे दो साल तक
उन्होंने ने आपकी देखभाल की लेकिन हलीमा मोहम्मद साहब को अभी और कुछ समय के लिए
अपने पास रखना चाहती थी जिसकी इजाजत उनकी वालिदा अमीना ने हलीमा को दे दी |
फिर वह मोहम्मद साहब
को लेकर अपने गाँव वापस आ गई और वापसी के बाद एक दिन जब आप बनी असद के जंगल में
बकरियां चरा रहे थे तब अल्लाह के हुक्म से दो फ़रिश्ते आपके पास आये और आपका सीना ए
मुबारक खोल कर आपके कल्ब यानि के दिल से
गोस्त के तुकडे के सामान एक काली चीज निकाली और फेक दी , आपके दिल को खूब साफ़ किया
और धोया और फिर उसको वापस आपके सीने मुबारक में रख सीने को पहली जैसी हालत में कर
दिया| और आप अपने दूध माँ के भाइयो के साथ उन्ही के साथ जंगल में बकरिया चराते और
मोहब्बत के साथ उनके साथ रहते |
आपके दादा और आपकी
वालिदा का इंतकाल|
जब आप 6 साल के थे तब आपकी वालिदा आमिना का इंतकाल अबवा में हो गया (जो मक्का और मदीना
के और बीच में है | फिर आप अपने दादा के पास रहने लगे
वह आपका बड़ा ख्याल रखते और हमेशा अपने पास रखते और आपसे बड़ी मोहब्बत करते लेकिन जब आप आठ साल के
हुए तो आपके दादा अब्दुल मुतलिब का इंतकाल हो गया और आप तनहा हो गए लेकिन आपके
दादा ने आपकी जिम्मेदारी आपके चाचा अबुतालिब को सौप दी|
आपके चाचा अबुतालिब
अपने दादा अब्दुल
मुतलिब के देहांत के बाद आप अपने चाचा अबुतालिब के साथ रहने लगे यह अब्दुल्लाह के
सगे भाई थे अबुतालिब आपको अपने सगे बेटो से भी अधिक चाहते और प्यार करते | आप
अल्लाह के हिफाजत में पीला व बड़े और जवान हुए आपने ज़माने की जाहिलियत और बुरइयो से
खुद को दूर रखा और अपनी कौम में सबसे अधिक मनुष्यता वाले इन्सान रहे जिसके चलते
लोग आपक बड़ा आदर और सम्मान करते जब आप चौदह साल के हुए तो उस समय अलफुज्जार की
लड़ाई कैस और कुरैस के बीच छिड़ चुकी थी कुछ दिन आपने उस लड़ाई को बहुत करीब से देखा
और आप तीरों को कुरैस तक पहुचाते इस तरह से आपने जंग का अभ्यास और अनुभव हासिल
किया |
हजरत खदीजा से आपका
निकाह
जब आप पच्चीस साल के
हुए तो आपका निकाह हजरत खदीजा के साथ हुआ जो कुरैस की धनि बुद्धिमान तथा स्वाभाव
वान महिलाओ में से थी |उनके शौहर अबुहाला
का इंतकाल हो गया था और वह एक विधवा थी और चालीस साल की थी उस समय मोहम्मद साहब की
उम्र पच्चीस साल थी |हजरत खतीजा ताजिर महिला थी उनके माल धन से लोग व्यापार किया
करते थे माल उनका और मेहनत दूसरो की ,लाभ हानि युक्ति नियम से विभाजित होता कुरैस
कौम ताजिर कौम थी यानि के व्यापारी कौम थी| जब उनका माल लेकर मोहम्मद साहब व्यापार
के लिए गए तो वह उनकी वफ़ादारी और हिसाब किताब और उनकी नेक नियति से इतना प्रभावित
हुई की उन्होंने ने उनसे शादी करने का
प्रस्ताव रखा और जिसे मोहम्मद साहब ने स्वीकार कर लिया और आपके चाचा अबुतालिब ने
आपके निकाह का खुतबा पढ़ा और निकाह हो गया | यह मोहम्मद साहब की पहली बीबी थी और
मोहम्मद साहब के सभी बच्चे इन्ही से थे सिवाय इब्राहीम के |
मोहम्मद साहब के
बारे में यह जानकारी आपको कैसी लगी हमें कमेंट करके जरुर बताये हमें ख़ुशी होगी|