Why muslim celebrated Eid Milad un Nabi 2023 hindi ?
1.जानें मोहम्मद साहब की शादी और उनकी बीवियो के नाम।
2.जाने इस article में मोहम्मद साहब के बच्चों के नाम
3.जाने इस article में Islamic किस्से के बारे में ।
क्या आप आपको मालूम है कि 12 RABI AWWAL यानि के जशन मिलादुन नबी क्यों मनाया जाता है ? आप FM DELHI का लेख इतिहास की गोद में पढ़
रहे है और पहले लेख में हमने आपको मोहम्मद साहब के जन्म और उनके खानदान के बारे
में जानकारी दी है और आज के लेख में हम बारह रबी अव्वल और मोहम्मद साहब के शादी और
उनके पैगम्बर होने के बारे में जिक्र करेंगे |
बारह रबी अव्वल क्यों
मनाया जाता है ?
जैसे कि हम सभी को मालूम
है की बारह रबी अव्वल के दिन साल 570 हिजरी या इसवी सन को मोहम्मद साहब पैदा हुए उनकी इस मुबारक
दिन को हर मुसलमान खुसी के साथ 12 रबी अव्वल के नाम
पर मनाया जाता है हर मुस्लिम अपने घर में फातिहा और कुरान खानी और जलसा करके इस
दिन को ईद के ही तरह से मानते है |
मै आपको बताता चलू के
मोहम्मद साहब ने कुल कितनी शादी की और
उनके कितने बच्चे थे ?
जैसा कि मैंने आपको पहले
बताया कि मोहम्मद साहब की पहली शादी हजरत
खदीजा से हुई थी 595 हिजरी जब आपकी उम्र
पच्चीस साल थी और हजरते खदीजा चालीस साल की अरब की एक धनि परिवार से ताल्लुक रखती
थी और तिजारत करती थी यानि के व्यापारी थी |
जाने पैगंबर मोहम्मद साहब के जीवन के बारे में।
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आपकी बीवियों के नाम :
पहली बीवी हजरते
खदीजा बिन्ते खुवेलिद
दूसरी बीवी का नाम सौदा बिन्ते जमाह
तीसरी बीवी का नाम आयशा
बिन्ते अबू बकर
चौथी बीवी का नाम हफ्सा
बिन्ते उमर और जैनब बिन्ते खुजायमा
छठी बीवी का नाम हिन्द
बिन्ते सुहैल
सातवी बीवी का नाम रेहाना
बिन्ते जायद
आठवी बीवी का नाम जैनब
बिन्ते जहश
नौवी बीवी का नाम
जुवैरियत बिन्ते अल हरिथ
दसवी बीवी का नाम साफिया
बिन्ते हुयय इबन अख्ताब
आपके बच्चो के नाम :
मोहम्मद साहब और खदीजा से
उनके दो बेटे हुए कासिम अब्द्लाह दोनों
बच्चे जवानी की दहलीज पर आकार इन्तेकाल फरमा गए
और चार बेटियाँ जैनब , रुकैया , उम्मकुलशुम और फातिमा जो मोहम्मद साहब की
सबसे चहेती और लाडली बेटी थी और
जायद इबने हरिताह को हजरते खदीजा ने गोद
लिया जिसको मोहम्मद साहब के कहने पर अपना बेटा स्वीकार लिया|
काबा के नव निर्माण का
किस्सा|
आइये जानते है मोहम्मद
साहब जब 35 साल के हुए तो
कुरैस के लोगो ने अल्लाह के घर काबा का नव निर्माण का इरादा किया और उस पर छत डालने का विचार हुआ इस
से पहले काबा की दीवारे बिना माटी गारे कि ऐसे ही एक पत्थर के ऊपर दूसरे पत्थर को
रख दिया| जिसकी ऊचाई इंसानों के कद तक थी और उसको गिराकर ही निर्माण संभव हो सकता था| जब काम शुरू हुआ और काम दीवारे असवद तक आ पहुंचा और यंहा इस आसमानी पत्थर को रखने के लिए
अरब का हर कबीला खावाहिश्मंद था जिसको लेकर लोगो में विवाद होने लगा और यह विवाद जंग तक पहुँच गया तब और
कुरैस कबीले ने अंत में इस बात पर आकर सहमती जताई की जो शख्स मस्जिद के दरवाजे से
पहले आएगा वही इस पत्थर को रखेगा और वह
मोहम्मद साहब थे जब लोगो ने आपको दरवाजे
से आते देखा तो चैन की साँस ली तब आपने एक तरकीब लगाई और एक कपड़ा मगवाया और उस
पत्थर को रखकर कबीले के हर शख्स ने उस कपडे को पकड़ कर उसको उठाया और रखने में अपना
योगदान दिया जिससे सब लोग खुश हो गए| और इस तरह से इस मामले का हल निकाला|